पॉयलट का जहाज क्रेशः रोचक मोड़ पर पहुंचा राजस्थान का राजनीतिक घटनाक्रम

            Pilot vs Gehlot case, HC tells speaker to make way for status quo

राज्यपाल द्वारा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को लौटाने व बसपा की ओर से अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी करने के बाद गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।


♦  राजस्थान का राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है और अब रोचक मोड़ पर आता दिख रहा है

राज्यपाल द्वारा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को लौटाने और बसपा की ओर से अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी करने के बाद गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। गहलोत सरकार का पूरा जोर जल्द से जल्द सत्र आहूत कराने पर है। उधर, भाजपा ने बसपा विधायकों के विलय को चुनौती देने वाली याचिका फिर से दायर करने की तैयारी कर ली है। इसके जरिए वह बसपा विधायकों के मामले को हवा देती नजर आ रही है। वहीं, पायलट गुट नए लोगों के जुडने का दावा कर रहा है।

राजस्थान के सियासी संकट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास अब सबसे बड़ा विकल्प विधानसभा सत्र का बचा है, लेकिन सत्र जल्दी होता नहीं दिख रहा है। राज्यपाल ने फाइल लौटाते हुए सत्र बुलाने से इन्कार नहीं किया है, लेकिन 21 दिन के नोटिस और कोरोना से बचाव के लिए सुरक्षित शारीरिक दूरी की शर्तें जोड़ने से नया पेंच जरूर फंस गया है।

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♦  बसपा विधायकों के लिए जारी व्हिप और बसपा विधायकों के विलय को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद क्या

भाजपा विधायक मदन दिलावर की ओर से नए सिरे से याचिका दायर करने की तैयारी भी गहलोत के लिए नया संकट है। इसका कारण यह है कि दिलावर ने जो याचिका विधानसभा अध्यक्ष को दी थी, दिलावर के अनुसार उन्हें सुने बिना ही उसे खारिज कर दिया गया। ऐसे में दिलावर के पास कोर्ट जाने का मजबूत आधार हो गया है। यह मामला कोर्ट में जाता है तो फिर एक नई कहानी शुरू हो जाएगी। ऐसे में अशोक गहलोत अब किसी भी तरह का टकराव टालते हुए सिर्फ सत्र को आहूत करने पर जोर दे रहे


 ♦  बसपा के मुद्दे को हवा दे रही भाजपा

उधर, भाजपा जो अब तक खुद को इस मामले से बाहर बता रही थी, अब बसपा से जुड़ी याचिका के जरिये इस संकट का हिस्सा बन जाएगी। पार्टी इस याचिका और बसपा के व्हिप के मुद्दे को हवा देने की रणनीति पर काम कर रही है। जहां तक सचिन पायलट का सवाल है तो वह शांति बनाए हुए हैं। बताया जा रहा है कि उनकी रणनीति विधानसभा सत्र आहूत किए जाने के फैसले के बाद ही सामने आने की उम्मीद है।

 

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