हरियाणा पुलिस के अफसरों के तबादलों को लेकर सरकार में गृह मंत्री अनिल विज और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बीच तकरार बढ़ गई है। विज की मर्जी के बगैर हुए इन तबादलों को लेकर विज ने सीएम को पत्र लिख कर पूछा है कि ऐसा क्यों किया गया। पत्र में रूल्स आफ बिजनेस का हवाला देकर अनिल विज ने कहा है कि पुलिस के तबादले से पहले गृह मंत्री होने के नाते से उन्हें पूरी जानकारी दी जानी चाहिए थी जो कि नहीं दी गई।
गृह मंत्री अनिल विज पुलिस अधिकारियों के तबादले की सूची पर सहमत नहीं थे। उनकी असहमति के बीच ही सरकार ने तबादलों की सूची जारी कर दी, जिसके बाद यह विवाद बढ़ गया। लिस्ट जारी होने के समय मुख्यमंत्री के प्रधानसचिव के पास ही गृह सचिव का भी प्रभार था। जबकि लिस्ट जारी होने के अगले दिन आईएएस अधिकारियों के तबादलों की सूची जारी हो गई और सीएम के प्रधान सचिव आरके खुल्लर भी गृह सचिव नहीं रहे।
कुल मिलाकर यह कंट्रोवर्सी सरकार में चर्चा का विषय बन गई है। पिछली भाजपा सरकार में विज के महकमों के तबादलों को लेकर खींच तान जारी रही। कभी उन्हें खेल विभाग के कार्यक्रमों का मंत्री रहते हुए निमंत्रण नहीं मिलता था तो कभी विभाग के आयोजनों में कार्ड पर उनका नाम नहीं छपता था। नई बनी भाजपा सरकार में यह समझा जा रहा था कि अनिल विज को गृह मंत्री लगाने के बाद सरकार ने उन्हें गृह मंत्री की पूरी शक्तियां दे दी हैं, लेकिन तबादला सूची पर फंसी रार के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि वर्तमान सरकार में भी सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है।
पुलिस एक्ट को लागू करने पर जोर
अनिल विज ने के्रंद सरकार की ओर से 2007 में बनाए गए संशोधित पुलिस एक्ट को लेकर अधिकारियों को उसे हरियाणा में लागू करने के संदर्भ में रिपोर्ट मांगी है। इस संदर्भ में उन्होंने सभी जिलों के पांच कांस्टेबल और पांच हेड कांस्टेबल से भी राय लेने के लिए कहा है, जिससे यह पता चल सके कि निचले स्तर पर पुलिस में क्या सुधार की जरूरत है।
सीआईडी के कायाकल्प की तैयारी
हरियाणा में शुरुआत से एक ही ढर्रे पर चल रही सीआईडी का कायाकल्प करने की गृह मंत्री अनिल विज ने तैयारी कर ली है। इस कड़ी में सीआईडी के सुधार के लिए एक कमेटी का गठन भी कर दिया है। इस कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सीआईडी में सुधार किया जाएगा।