नई दिल्ली. एयर इंडिया को बीते वित्त वर्ष (2018-19) में 8,556.35 करोड़ रुपए का घाटा (प्रोविजनल) हुआ। यह अब तक का सबसे बड़ा सालाना नुकसान है। विमानों के कम इस्तेमाल और हवाई ईंधन की ऊंची कीमतों की वजह से एयरलाइन को घाटा हुआ। पाकिस्तान का एयरस्पेस बंद रहने के दौरान रोज करीब 3 करोड़ से 4 करोड़ रुपए का नुकसान होने की वजह से भी घाटा बढ़ा। उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को लोकसभा में एयर इंडिया के आंकड़ों की जानकारी दी।
10 साल में 69575 करोड़ का नुकसान
एयरलाइन को 2017-18 में 5,348.18 का घाटा हुआ था। 2007 में इंडियन एयरलाइंस के साथ मर्जर के बाद एयर इंडिया एक बार भी मुनाफे में नहीं रही। बीते दस साल में 69,575.64 का नुकसान झेल चुकी है। पुरी ने बताया कि एयर इंडिया के नुकसान और कर्ज की स्थिति को देखते हुए 2012 में तत्कालीन सरकार ने 30,000 करोड़ रुपए का रिवाइवल पैकेज मंजूर किया था। 2011-12 से अब तक एयरलाइन को 30,520.21 करोड़ रुपए मिल चुके हैं।
एयर इंडिया पर कुल 58,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। सरकार एयरलाइन को बेचने की कोशिशों में जुटी है। पिछले साल 76% हिस्सेदारी बेचने की कोशिश विफल रही थी। इस बार नई स्ट्रैटजी बनाकर बिडिंग के नियम आसान किए गए हैं। उड्डयन मंत्री ने पिछले हफ्ते कहा था कि एयर इंडिया का निजीकरण नहीं हुआ तो इसका संचालन मुश्किल हो जाएगा।