रोडवेज प्रबंधन जहां यात्रियों की सुविधा के लिए जरूरी प्रयास कर रहा है। वहीं रोडवेज डिपो में बसों की संख्या घटती जा रही है। रोडवेज में बसों की कमी के कारण भविष्य में यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है। इसके अलावा रोडवेज प्रशासन की ओर से छात्राओं की सुविधा के लिए करीब पांच रूटों पर स्पेशल बसों का संचालन किया जा रहा है।पिछले साल तक जहां रोडवेज की 159 बसें थीं वहीं इस साल 147 रह गई है, जिनमें से विभाग की ओर से बावल डिपो में 3 बसें भेजी गई व 9 इस साल कंडम हो चुकी है। रोडवेज विभाग की मानें तो आने वाले समय में 40 और बसें कंडम हो जाएंगी। वहीं नई बसों की बात की जाए तो पिछले 4 सालों में 9 पिंक बसों व किलोमीटर स्कीम की बसों के अलावा रेवाड़ी डिपो को अपनी नई बसें नही मिल पाई है।रेवाड़ी डिपो कमाई के मामले में हर दिन नई उपलब्धि हासिल कर रहा है। 4 फरवरी को रेवाड़ी डिपो कमाई के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंच गया। लेकिन जहां एक ओर उपलब्धि है वहीं रेवाड़ी डिपो की कमी दिखाई दे रही है। 2020 में रेवाड़ी डिपो के पास 25 बसें किलोमीटर की थी। वहीं पिछले साल 5 नई बसें बढ़ाई हैं जिसके चलते किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली बसों की संख्या 30 हो गई है। कर्मचारियों ने बताया कि किलोमीटर स्कीम के तहत जो बसें संचालित हो रही हैं। उसमें परिचालक हरियाणा रोडवेज का होता है व बस का मालिक कोई और रहता है। वहीं किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली बसें सिर्फ लंबे रूट के लिए संचालित हो रही है। वहीं परमिट बसों का दबदबा धीरे-धीरे बढ़ रहा है।नई बसों को लेकर काफी सालों से यहीं सुनने में आया हे कि रेवाड़ी डिपो को नई बसे मिलेंगी लेकिन वो समय तो अभी तक आया नहीं। इस साल 10 बसों को कंडम घोषित कर दिया है। ऐसे में बस ही नही रहेगी तो यात्रियों को कैसे सुविधा मिल पाएगी। रोडवेज की ओर से यात्रियों की सुविधा सर्वोपरि है। इसके अलाव छात्राओं की सुविधा के लिए बसों का संचालक किया जा रहा है।बसें कंडम होंगी तो जाहिर हे रेवाड़ी डिपो में बसों की संख्या घटेगी। विभाग को नई बसें मलनी चाहिए लेकिन अब तक 9 पिंक बसें जो कि महिलाओं के लिए है व किलोमीटर स्कीम की बसें ही मिली है। रेवाड़ी डिपो को रोडवेज की बसे मिलेगी कर्मचारी इसी इंतजार में है।