डिस्ट्रिक रेडक्रॉस सोसायटी में 30 साल की नौकरी के बाद पवन कुमार को अब बड़ी राहत मिली है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उसे रेगुलर करने के साथ ही सेवा के सभी लाभ देने के आदेश दिए हैं। हालांकि चार महीने बाद भी सोसायटी ने अभी तक हाईकोर्ट के आदेशों की पालन नहीं की है। उल्टा याची का तीन महीने का वेतन भी रोक लिया गया। साथ ही उसे डीसी रेट के तहत वेतन देने से भी मना कर दिया। इसी वजह से अब पवन हाईकोर्ट में अवमानना की याचिका दायर करने की तैयारी कर रहा है।
इसलिए दी हाईकोर्ट में मामले को चुनौती
सौंडा गांव के रहने वाले पवन कुमार की 20 अगस्त 1990 को डिस्ट्रिक रेडक्रॉस सोसायटी में बतौर चपरासी नियुक्ति हुई थी। करीब 30 साल की नौकरी पूरी होने के बावजूद पवन को अभी तक सोसायटी की ओर से न तो रेगुलर किया गया और न ही उसे प्रमोशन दी गई। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका में पवन ने उसके बाद सोसायटी में ज्वाइन करने वाली दो महिलाओं की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। उसने बताया कि इन महिलाओं की नियुक्ति उसके बाद हुई थी। जबकि दोनों को सोसायटी में उससे पहले रेगुलर कर दिया गया। उसका यह भी आरोप था कि रेडक्रॉस सोसायटी में पिछले दरवाजे से नियमों को ताक पर कई कर्मचारियों को नियुक्ति दी गई। याचिका में पवन ने सिलसिलेवार सभी नियुक्तियों का जिक्र किया। लंबी सुनवाई के बाद 17 मार्च 2020 को हाईकोर्ट ने पवन की दलीलों को सही मानते हुए डिस्ट्रिक रेडक्रॉस सोसायटी को उसे 2004 से रेगुलर करने के साथ ही तमाम बेनिफिट भी देने के आदेश दिए हैं।
डीसी ने रेगुलर करने से किया मना, बोले- फैसले को देंगे चुनौती
पवन ने बताया कि हाईकोर्ट का फैसला आने के बावजूद अभी तक उसे लागू नहीं किया गया। इस मामले को लेकर उसने डीसी अशोक कुमार शर्मा से मुलाकात की थी। तब उनसे हाईकोर्ट के आदेशनुसार उसे लाभ देने का आग्रह किया था। पवन का आरोप है कि डीसी ने उसे रेगुलर करने की बजाय फैसले को ही चुनौती देने की बात कही है। पवन का आरोप है कि पिछले तीन महीने से उसका वेतन भी रोक लिया गया है। अब उसके साथ आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
हाईकोर्ट ने पवन की दलीलों को सही माना है। जिसके आधार पर उसे रेगुलर करने के साथ सभी लाभ देने के आदेश दिए। अभी तक सोसायटी की ओर से हाईकोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। हम सोसायटी के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर करने जा रहे हैं।
एडवोकेट संगीता ढांडा, पैरवीकार, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट