उत्तराखंड: रोक के बाद भी 17 स्कूलों को दे दिया पूर्ण अनुदान, अब अफसरों पर होगी कार्रवाई

उत्तराखंड में रोक के बाद भी 17  अशासकीय स्कूलों को पूर्ण अनुदान दे दिया गया है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के मुताबिक प्रकरण भ्रष्टाचार से जुड़ा है। जिन स्कूलों को अनुदान दिया गया है, उसे निरस्त कर संबंधित अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि अफसरों ने आदेश के खिलाफ जाकर यह कदम उठाया है।  शिक्षा मंत्री के मुताबिक विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए स्कूलों को पूर्ण अनुदान दिए जाने पर रोक लगाई गई थी।

वर्ष 2017 में इसका शासनादेश जारी किया गया था। उस दौरान स्पष्ट कर दिया गया था कि अब किसी भी विद्यालय को पूर्ण अनुदान नहीं दिया जाएगा। इसके स्थान पर सरकार स्कूलों में छात्र संख्या के आधार पर टोकन मनी के रूप में प्रोत्साहन राशि देगी। शिक्षा मंत्री के मुताबिक, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में बड़ी संख्या में स्कूलों को पूर्ण अनुदान दिया गया था, लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया।

हालांकि मंत्री का कहना है कि उनकी सरकार में जिन स्कूलों को पूर्ण अनुदान दिया गया, उन स्कूलों की संख्या चार है। जबकि विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस तरह के स्कूलों की संख्या 17 है।

यह है मामला

प्रदेश में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में दो सौ से अधिक स्कूलों को पूर्ण ग्रांट में लिया गया था, लेकिन इसकी स्वीकृति के बाद भी इन स्कूलों को पूर्ण ग्रांट न देकर शुरूआत में टोकन मनी दी गई थी।

वर्ष 2017 में भाजपा सरकार में पूर्ण ग्रांट पर रोक का जीओ जारी किया गया। इसके बाद भी कुछ स्कूलों को पूर्ण ग्रांट दे दी गई है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि कुछ स्कूलों को शिक्षा मंत्री के आदेश पर पूर्ण ग्रांट दी गई।

मेरे आदेश पर किसी स्कूलों को पूर्ण अनुदान नहीं दिया गया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अनुदान पर रोक के आदेश के खिलाफ जाकर गलत परंपरा शुरू की है। मैंने मुख्यमंत्री से कहा है कि इस तरह के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हो।

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