सीएए के विरोध प्रदर्शन में महिलाओं के साथ आने वाले बच्चे पुलिस के लिए बने सिरदर्द

नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में महानगर में चल रहे आंदोलनों में महिलाओं के साथ आने वाले किशोरवय बच्चे पुलिस के लिए सिरदर्द बन गए हैं। कानूनन पुलिस इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर नहीं सकती। इस समस्या को राज्य बाल कल्याण समिति ने डीजीपी के समक्ष रखा है। समिति ने बच्चों को आंदोलनों में भेजने को अपराध की श्रेणी में बताते हुए भेजने वाले तत्वों की पहचान कराने की सिफारिश की है। इसके बाद पुलिस इन बच्चों के चिन्हीकरण, भेजने वाले तत्वों, इलाकों आदि की खोजबीन में जुट गई है।

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में एएमयू छात्रों के साथ आम लोग भी लगातार आंदोलन कर पुलिस एवं प्रशासन के लिए चुनौती बने हुए हैं। सबसे बड़ी चिंता इन आंदोलनों में महिलाओं और किशोरवय बच्चों को आगे करने की है। हर आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाएं एवं किशोरवय बच्चे न केवल पहुंच रहे हैं, बल्कि नारेबाजी से लेकर पत्थरबाजी एवं उग्र प्रदर्शन में संलिप्त हो रहे हैं। हाल ही में राज्य बाल कल्याण समिति ने यह मुद्दा डीजीपी के समक्ष उठाया।

समिति पदाधिकारियों ने डीजीपी को भेजे पत्र में बच्चों के आंदोलनों में शामिल होने पर चिंता जाहिर करते हुए इस पर रोक लगाने की सिफारिश की। एसएसपी आकाश कुलहरि ने बताया कि आंदोलनों में शामिल बच्चों का चिह्नित कराया जा रहा है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि वे किस इलाके के हैं, कौन उन्हें भेज रहा है और भेजने के लिए क्या लालच दिया जाता है। इसके लिए पुलिस टीमें एवं खुफिया तंत्र सक्रिय हो गया है।

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