पैदल यात्रियों की सड़कों पर मौत का ये आंकड़ा इसलिए भी ज्यादा प्रमाणिक है कि क्योंकि सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने लोकसभा में दिया है। चिंता वाली बात यह है कि देश और प्रदेश की सड़कें पैदल चलने वालों के लिए घातक बनती जा रही हैं। राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2015 में 13894 पैदल यात्री मारे गए थे।
वर्ष 2018 में मौत का यह आंकड़ा बढ़कर 22656 पहुंच गया है। उत्तराखंड में वर्ष 2015 में सड़कों पर 106 पैदल यात्री मारे गए थे। वर्ष 2018 में ये संख्या बढ़कर 146 पहुंच गई है। यानी प्रदेश में भी आंकड़ा निरंतर बढ़ रहा है। प्रदेश में पिछले 19 वर्षों में सड़कों की लंबाई तो बढ़ी, लेकिन उस गति से सड़कों के चौड़ीकरण का कार्य नहीं हो पाया।