पराली जलाने में 167 किसान गिरफ्तार, 104 अधिकारी निलंबित

दिल्ली के वायु प्रदूषण में अपनी भागीदारी न्यूनतम बताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 36 फीसदी की कमी आई है। राज्य सरकार ने बताया है कि पराली जलाने की घटनाओं को लेकर 104 अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है।

सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर यूपी सरकार से कहा है कि वह प्रदूषण को लेकर गंभीर है और इसकेलिए उसकी ओर से अथक प्रयास जारी है। सरकार ने कहा कि वर्ष 2019 में राज्य में पराली जलाने की कुल 4230 घटनाएं हुई। जबकि पिछले वर्ष इसकी संख्या 6623 थी। सरकार ने कहा कि राज्य में पराली जलाने की घटनाएं में साल-दर-साल कमी आ रही है।

सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया है कि पराली जलाने की घटनाओं को लेकर 104 अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। 330 कर्मचारियों को चेतावनी दी गई है। 11 केखिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है। 49 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है जबकि 83 से सफाई मांगी गई है। पांच कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगाई गई है।

साथ ही सरकार ने कहा कि पराली जलाने को लेकर 2525 किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। 167 किसानों को गिरफ्तार भी किया गया है। किसानों पर 270.56 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इनमें से अब तक 97.78 लाख रुपये वसूल किए जा चुके हैं। इसके अलावा उन 39 ग्राम प्रधानों को नोटिस जारी किया गया है जिनके गांवों में पराली जलाने की घटनाएं अधिक हुई थी और वहां बार-बार ये घटनाएं हो रही थी।

हलफनामे में सरकार ने कहा कि वह हर हफ्ते 75 जिलाधिकारियों के साथ घटनाओ को लेकर समीक्षा कर रही है। अगले सीजन में पराली जलाने को रोकने के लिए पुलिस अधीक्षकों को चौकन्ना रहने के लिए कहा गया है। आगमी वर्ष के मद्देनजर भारत सरकार के कृषि सचिव केसाथ गत 31 दिसंबर को इस संबंध में बैठक भी हुई है। पराली जलाने से रोकने के लिए 80 फीसदी सब्सिडी के साथ मशीन व उपकरण भी देने का निर्णय लिया गया है।

सरकार ने बताया कि ठोक कचरा प्रबंधन को लेकर भी सरकार कदम उठा रही है। सरकार ने बताया कि राज्य के652 शहरी नगर निकायों से 17377 टीपीडी ठोस कचरा होता है। कुल 12007 वार्डों में से 11675 वार्डों में घर-घर जाकर कचरा उठाया जा रहा है। साथ ही राज्य सरकार ने बताया है कि अल्पकालीन योजना के तहत निर्माण कार्य से होने वाले धूल-कण पर नियंत्रण, कचरा पर जलाने पर रोक और अवैध इकाइयों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं दीर्घकालीन योजना के तहत स्वच्छ ईंधन मुहैया कराने का प्रयास किया जाएगा।

सरकार ने बताया कि पौधारोपण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने वाली इकाइयों केखिलाफ कार्रवाई की गई है। वर्ष 2019 में 495 इकाइयों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जबकि 1290 इकाइयों को बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं।

राज्य सरकार ने अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत दिया है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए किए गए प्रयासों के अलावा प्रदूषण पर लगाम लगाने को लेकर उठाए गए कदम और भविष्य की कार्ययोजना केबारे में बताने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते इस हलफनामे पर गौर करेगी।

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