बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने शेल्टर होम के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत 19 को यौनशोषण और उत्पीड़न का दोषी करार दिया है। एक आरोपी को अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है। दोषियों की सजा पर 28 जनवरी को बहस की जाएगी। ब्रजेश को पॉक्सो के तहत यौनशोषण और गैंगरेप का दोषी करार दिया गया। यह मामला 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मुजफ्फरपुर की स्थानीय अदालत से साकेत पॉक्सो कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था।
दोषियों में वह महिलाएं भी हैं, जो बालिका गृह की लड़कियों के साथ हो रही दरिंदगी को न सिर्फ छिपाती रहीं, बल्कि बच्चियों की आवाज दबाने के लिए उन्हें यातनाएं भी देती रहीं। बालिका गृह में तैनात कुक से लेकर गेटकीपर तक पर लड़कियों के साथ दुष्कर्म के आरोप लगे थे। सुनवाई के दौरान पीड़ित किशोरियों का बयान दर्ज किया गया था। कई लड़कियां आरोपियों को देखकर उनकी पहचान भी चुकी थीं।
दोषी: ब्रजेश ठाकुर (संरक्षक), इंदु कुमारी (अधीक्षिका), मीनू देवी (हाउस मदर), मंजू देवी (काउंसलर), चंदा देवी (हाउस मदर), नेहा कुमारी (नर्स), किरण कुमारी (हेल्पर), हेमा मसीह (प्रोबेशनरी अधिकारी), रवि रोशन(निलंबित सीपीओ- बाल संरक्षण पदाधिकारी), विकास कुमार( सीडब्लूसी – बाल कल्याण समिति सदस्य), रोजी रानी(तत्कालीन सहायक निदेशक), विजय कुमार तिवारी(ब्रजेश का ड्राइवर), गुड्डू कुमार(रसोईया), कृष्णा कुमार राम(सफाईकर्मी), रामानुज ठाकुर (गेटकीपर), साजिस्ता परवीन उर्फ मधु(ब्रजेश की करीबी), अश्विनी कुमार(कथित डॉक्टर), दिलीप वर्मा(सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष), रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर साहब।
बरी: विक्की(मधु का भांजा): मधु का करीबी, राजदार और भांजा है। ब्रजेश ठाकुर के लिए काम करता था।
फरार: प्रेमिला(कथित डॉक्टर)।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केस दिल्ली ट्रांसफर हुआ
फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बालिका गृहकांड को मुजफ्फरपुर विशेष कोर्ट से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया गया। केस की निगरानी कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को बिहार के सभी शेल्टर होम की जांच करके रिपोर्ट देने का आदेश दिया। हाल ही में सीबीआई ने बिहार के 25 डीएम और 46 अन्य सरकारी अधिकारियों के खिलाफ प्रदेश सरकार से सख्त विभागीय कार्रवाई करने की अनुशंसा की। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि शेल्टर होम में किसी भी बच्ची की हत्या नहीं की गई और सभी गायब 35 लड़कियों को सकुशल बरामद किया गया है।
टिस की रिपोर्ट में हुआ था खुलासा, मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस यानी टिस की रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड का खुलासा हुआ था। इसके बाद 31 मई 2018 को समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक ने मुजफ्फरपुर में महिला थाने में एफआईआर कराई गई थी। 26 जुलाई 2018 को राज्य सरकार ने बालिका गृह कांड की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की। अगले दिन यानी 27 जुलाई 2018 को सीबीआई ने पटना स्थित थाने में केस दर्ज किया था। इसके बाद अगस्त में समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मंजू के पति आरोपी ब्रजेश के करीबी हैं।