वेतनभोगियों के लिए आयकर के 3 की जगह 4 टैक्स स्लैब होने चाहिए। 2.5 लाख से 10 लाख रुपए सालाना आय वालों के लिए टैक्स रेट 10% होनी चाहिए। यह 10 से 20 लाख रुपए तक के लिए 20% और 20 लाख से 2 करोड़ रुपए तक के लिए 30% और दो करोड़ रु. से अधिक के लिए 35% होनी चाहिए। ये सुझाव नए डायरेक्ट टैक्स कानून का मसौदा तैयार करने के लिए नवंबर 2017 में बनी टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में दिए हैं। सीबीडीटी सदस्य अखिलेश रंजन की अध्यक्षता वाली यह टास्क फोर्स 19 अगस्त 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है। लेकिन सरकार ने इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के जरिए यह जानकारी सामने आई। अभी 5 लाख रुपए तक की आय टैक्स-फ्री है। टास्क फोर्स ने इसे बढ़ाकर 6.5 लाख रुपए करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा वेतन पर स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को मौजूदा 50,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपए करने को कहा है। इन सुझावों पर बजट में विचार किया जा सकता है। टैक्स प्रणाली में ये बदलाव करने पर सरकार को 30,000 करोड़ रुपए से अधिक का भार उठाना पड़ सकता है।
आयकर की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट सीमा 2.5 लाख रुपए हो सकती है
आयकर कानून की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए की जा सकती है। इस धारा के तहत नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) में 50,000 रुपए तक के निवेश पर अलग से छूट दी जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय छोटी बचत योजनाओं खासकर पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और एनएससी पर टैक्स इन्सेंटिव देने पर विचार कर रहा है। अभी धारा 80सी के तहत पीपीएफ में निवेश और एनएससी समेत छूट सीमा 1.5 लाख रुपए है। इसमें 2014 से बदलाव नहीं हुआ है। पीडब्ल्यूसी इंडिया के लीडर गौतम मेहता ने कहा कि 3 करोड़ से अधिक करदाता ऐसे हैं जिनकी कुल ग्रॉस इनकम पांच लाख रुपए या इससे अधिक है।
मौजूदा टैक्स स्लैब
सालाना आय (रुपए) | टैक्स रेट |
2.5 लाख तक | 0% |
2.5 लाख से 5 लाख | 5% |
5 लाख से 10 लाख | 20% |
10 लाख से अधिक | 30% |
टैक्स स्लैब में क्या बदलाव संभव?
सालाना आय (रुपए) | टैक्स रेट |
2.5 लाख तक | 0% |
2.5 लाख से 10 लाख | 10% |
10 से 20 लाख रुपए | 20% |
20 लाख से दो करोड़ | 30% |
2 करोड़ से अधिक | 35% |
देश में खपत और ग्रोथ बढ़ाने के लिए राहत पर विचार
15 महीनों से घट रही निजी खपत की दर
2014-2015 | 6.4% |
2015-2016 | 7.9% |
2016-2017 | 8.2% |
2017-2018 | 7.4% |
2018-19 (पहली छमाही) | 8.5% |
2018-19 (दूसरी छमाही) | 7.7% |
2019-20 (पहली छमाही) | 4.1% |
ये हैं तीन प्रमुख चुनौतियां
1. जीडीपी ग्रोथ: चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.5% दर्ज हुई है। यह छह साल में सबसे कम है।
2. निजी खपत: चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में निजी खपत घटकर 4.1% रह गई है। यह 2017-18 में 7.4% थी।
3. पारिवारिक बचत दर: 2011-12 में बचत दर जीडीपी के 23.6% के बराबर थी। 2017-18 में यह 17.2% रह गई।