एचडीआईएल के प्रमोटर पिता-पुत्र राकेश और सारंग वाधवान को जेल से घर में शिफ्ट करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रोक लगा दी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर बुधवार को आदेश दिया था कि एचडीआईएल के प्रमोटरों को घर पर ही जेल प्रहरियों की निगरानी में रखा जाए। जांच एजेंसियों ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक घोटाले में गिरफ्तार एचडीआईएल के प्रमोटर मुंबई की आर्थर रोड जेल में हैं।
हाईकोर्ट ने एचडीआईएल के एसेट्स के वैल्यूएशन के लिए कमेटी बनाई
जांच एजेंसियों की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- ‘पीएमसी बैंक घोटाला 7000 करोड़ रुपए का है। ऐसे में हाईकोर्ट का आदेश असामान्य है। आरोपियों को घर पर शिफ्ट करना जमानत देने जैसा होगा।’ बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में अपील की गई थी कि आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अटैच किए गए एचडीआईएल के एसेट्स का जल्द निपटारा किया जाए, ताकि पीएमसी के खाताधारकों को भुगतान हो सके। इस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने एचडीआईएल की बेचने योग्य संपत्तियों के वैल्यूएशन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। कोर्ट ने आरोपी पिता-पुत्र को घर पर शिफ्ट करने का आदेश भी दिया।
पीएमसी बैंक घोटाले का खुलासा सितंबर में हुआ था। आरोपों के मुताबिक पीएमसी ने एचडीआईएल को दिए 4,355 करोड़ रुपए के कर्ज को छिपाने के लिए फर्जीवाड़ा किया था। पीएमसी ने बैंकिंग सिस्टम में गड़बड़ी कर ऐसे 44 लोन खातों को दबाया। इस मामले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और ईडी ने बैंक अधिकारियों और एचडीआईएल के प्रमोटरों के खिलाफ केस दर्ज किया था।