सूरत में बनाई गई 51 के-9 वज्र हॉवित्जर गन को रक्षा मंत्री ने किया राष्ट्र को समर्पित

सूरत. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को एल एंड टी हजीरा पहुंचे। यहां एक समारोह में उन्होंने कुल 51 के-9 वज्र गन (टैंक) हॉवित्जर गन को राष्ट्र को समर्पित किया। आने वाले वर्षों में और 90 गन तैयार की जाएंगी।

2019 में पीएम ने किया था उद्घाटन

हजीरा स्थित एल एंड टी में जनवरी 2019 में पहली बार किसी प्राइवेट सेक्टर में आर्म्ड सिस्टम्स कॉम्पलेक्स का निर्माण किया गया। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सूरत पहुंचकर यहां निर्मित की गई 51 के-9 वज्र हॉवित्जर गन राष्ट्र को समर्पित किया।
10 गन आर्मी को दी जा चुकी है

हजीरा स्थित एल एंड टी के सूत्रों के अनुसार 2018 में कुल 100 गन बनाने का समझौता हुआ था। इसमें से जब 10 गन बन गई, तब उसका राजस्थान, जैसलमेर तथा जोधपुर में परीक्षण किया गया। इसके बाद उसे आर्मी को सौंप दिया गया। समझौते के अनुसार शेष 90 गन बनाने की तैयारी 2018 से शुरू हुई। जिसे सितम्बर 2019 तक पूरा करने की तैयारी थी। इस के-9 वज्र हॉवित्जर गन के कई पार्ट्स एल एंड टी के स्पेशल आर्म्ड सिस्टम्स कॉम्पलेक्स में बनाए जाते हैं। इस गन को बनाने के लिए दक्षिण कोरिया के हुए समझौते के तहत वह एल एंड टी को पूरा सहयोग कर रहा है।
43 कि.मी. तक मारक क्षमता

के-9 वज्र हॉवित्जर गन द्वारा 47 किलो के गोले को 43 कि.मी. दूर तक फेंका जा सकता है। गोले को लक्ष्य से 10 मीटर तक घुमाया जा सकता है। 50 टन वजनी एक गन 70 कि.मी. की स्पीड से चल सकती है।
के-6 वज्र हॉवित्जर में कुल 13 हजार पार्ट्स हैं

दक्षिण कोरिया के साथ एल एंड टी ने इस गन का प्रोग्राम किया है। के-9 वज्र हॉवित्जर गन में कुल 13 हजार पार्ट्स हैं। इसे एल एंड टी के 5 प्लांट्स समेत कुल 400 एमएमई कंपनी तैयार करती है। एल एंड टी के कुल 9 प्लांट्स हैं। इसके बाद भी 4500 करोड़ के हांव्या टेक्नालॉजी के साथ हुए समझौते के आधार पर शेष 90 गन बनाने के लिए पहली बार प्राइवेट सेक्टर में पहला आर्म्ड सिस्टम्स कॉम्पलेक्स तैयार किया गया है। सितम्बर में 10 गन के लोकार्पण के बाद फेज टू में गन का निर्माण शुरू हो चुका है। इस प्लांट्स में 13 हजार पार्ट्स और स्टील की प्लेट्स एक सिरे से अंदर आती है और दूसरे सिरे से असेम्बल होकर कॉम्पलेक्स के बाहर निकलती है।

  • 50 कि.मी. तक है मारक क्षमता
  • ऑपरेशनल रेंज 480 कि.मी. है
  • 15 सेकेंड में 3 गोले फेंक सकती है
  • इसके पहले बोफोर्स तो एक्शन में आते ही पहले पीछे जाती थी, पर यह आटोमेटिक है।

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