कांग्रेसी नेता भी करते हैं सीएए का समर्थन, लेकिन नेतृत्व के डर से बोलते नहीं: सीएम मनोहर लाल

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुधवार को पानीपत के आर्य खेल मैदान में नागरिक संशोधन अधिनियम के समर्थन में आयोजित रैली में कहा कि नागरिक संशोधन अधिनियम का विरोध करने वालों का चैप्टर बंद हो चुका है। तीनों देशों से धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आए ऐसे लोगों को संरक्षित करना ही नागरिकता संशोधन कानून का मूल उद्देश्य है।

इस अधिनियम की महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत के अल्पसंख्यकों का इस कानून से कोई लेना-देना नहीं है। इसका उद्देश्य केवल उन लोगों को सम्मानजनक जीवन देना है, जो दशकों से पीड़ित रहे हैं। उन लोगों के लिए हिंदुस्तान के दरवाजे कभी बंद नहीं हुए जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव की इसी मानसिकता का परिणाम है कि 1947 में पाकिस्तान में जहां अल्पसंख्यकों की संख्या 23 प्रतिशत थी, वह 2011 में मात्र 3.7 प्रतिशत ही रह गई। पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी, जो 2011 में 7.8 प्रतिशत हो गई। वहां अल्पसंख्यकों को या तो मार दिया गया, या उनका जबरन धर्मांतरण कराया गया या वे शरणार्थी बनकर भारत में आए।

ऐसे पीड़ित लोग भारत से ही अपने आश्रय की आस लेकर यहां आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको भारत का नागरिक बनने का अवसर प्रदान किया है। भारत की नागरिकता पाने के लिए पहले उनका 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था। अब यह अवधि घटाकर पांच साल की गई है। यह कानून पड़ोसी देशों से आए ऐसे लोगों को सम्मान के साथ जीने का अवसर प्रदान करेगा।

नेहरू-लिकायत समझौते के तहत पाकिस्तान ने नहीं निभाया वादा

मुख्यमंत्री ने कहा कि सब जानते हैं कि आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ। यह सबसे बड़ी भूल थी। आठ अप्रैल 1950 को नेहरू लियाकत समझौता हुआ है, जिसे दिल्ली समझौते के नाम से भी जाना जाता है। इसमें यह वादा किया गया था कि दोनों देश अपने-अपने अल्पसंख्यकों के हितों का ध्यान रखेंगे लेकिन पाकिस्तान समेत इन तीनों पड़ोसी देशों ने इस वादे को नहीं निभाया और वहां के अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया गया।

अधिनियम में मुस्लिम को पीड़ित करने की नहीं है बात

मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बाहर के अल्पसंख्यकों को सम्मान देने और उन्हें अनुकूल वातावरण देने के लिए नागरिक संशोधन अधिनियम को लाने की पहल की है जो लोग भारत देश के प्रति आस्था रखते हैं। यह उनके लिए बना है। इस अधिनियम में किसी भी मुस्लिम को पीड़ित करने की बात ही नहीं है।

इस अधिनियम में नागरिकता छीनने का नहीं बल्कि इसे देने का प्रावधान किया गया है। जो व्यक्ति देश का पुत्र बनकर इस देश के प्रति आस्था रखेगा और भारत को अपनी मां का दर्जा देगा, उसकी नागरिकता पूरी तरह सुरक्षित है। अपने सुख-दुख और पूर्वजों को एक मानता है, उसे नागरिकता का कोई खतरा नहीं है। हमारे यहां धार्मिक रूप से पूजा पाठ की पूरी तरह स्वतंत्रता है लेकिन यहां का खाकर और किसी ओर देश के गुण गाए, ये नहीं हो सकता।

महात्मा गांधी ने भी की थी वकालत

उन्होंने कहा कि यह प्रश्न बार-बार उठता है कि मुस्लिमों को इससे बाहर क्यों रखा गया है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश अपने संविधान के मुताबिक मुस्लिम देश हैं, वहां धर्म के नाम पर मुस्लिम उत्पीड़ित नहीं होते हैं, इसलिए उन्हें इस कानून में शामिल नहीं किया गया है। इस अधिनियम में अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई को लाभ दिया है और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है।

भारत में भी किसी मुस्लिम या उससे जुड़े समुदाय को आज तक प्रताड़ित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि 26 सितंबर 1947 को महात्मा गांधी ने हरियाणा में ही नूंह जिले के गांव घासेड़ा में एक सभा में खुले तौर पर कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख, हर नजरिए से भारत आ सकते हैं, अगर वे वहां निवास नहीं करना चाहते हैं। उस स्थिति में, उनके जीवन को सामान्य बनाना भात सरकार का पहला कर्तव्य है।

विपक्ष फैला रहा है भ्रम: अनिल जैन

राज्यसभा सांसद और भाजपा के प्रदेश प्रभारी डॉ. अनिल जैन ने कहा कि इस अधिनियम को लेकर जो भ्रांतियां फैलाई जा रहीं हैं, उसने देश के सामान्य वातावरण को अराजकता के वातावरण में बदल दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला कोई भी नहीं कर सकता। इसलिए जानबूझकर यह विरोध का वातावरण बनाया जा रहा है कि किसी तरह से विपक्ष के दल इकट्ठे हों।

यह नागरिक संशोधन अधिनियम देश के 130 करोड़ नागरिकों के लिए नहीं है। चाहे उसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई इत्यादि हों। यह डर फैलाया जा रहा है कि यह बिल मुस्लिमों के विरूद्ध है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार असंख्य विस्थापित शरणार्थियों को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार दिया है।

इस मानवतापूर्ण कानून को लेकर देश में कुछ राजनीतिक पार्टियां और संगठन भ्रांति फैला रहे हैं कि यह देश के नागरिकों विषेशकर मुसलमानों के हित में नहीं है। उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित दूसरी राजनीतिक पार्टियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ये लोग विरोध नहीं पाखंड कर रहे हैं और अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं।

कृष्ण पंवार कुर्सी के लिए भटकते रहे, खेलमंत्री संदीप सिंह और योगेश्वर दत्त खड़े ही रहे
विधानसभा चुनाव के बाद सरकार के स्टेज की तस्वीर पूरी तरह बदल गई। हमेशा सीएम मनोहर लाल के बगल में बैठने वाले पूर्व परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार सीट के लिए इधर-उधर चक्कर काटते रहे। उन्होंने आगे वाली लाइन में दायीं ओर आखिरी कुर्सी पर सीट मिली। वहीं खेल मंत्री संदीप सिंह और योगेश्वर दत्त को न मंच पर जगह मिली और न ही मंच के सामने ही जगह मिल सकी। वह पूरी रैली के दौरान पीछे खड़े रहे।

ये नेता रहे जन समर्थन रैली में शामिल

शिक्षा मंत्री कंवरपाल सिंह, परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा, खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह, महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा, रोहतक सांसद डॉ. अरविंद शर्मा, सोनीपत सांसद रमेश कौशिक, कुरूक्षेत्र सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक मोहन बडौली, विधायक कृष्ण मिढ्ढा, विधायक निर्मल चौधरी, पूर्व मंत्री कर्णदेव कंबोज, पूर्व मंत्री कविता जैन, पूर्व मंत्री और मुख्यमंत्री के राजनैतिक सचिव कृष्ण बेदी, अमित आर्य, संगठन मंत्री सुरेश भट्ट, प्रदेश महामंत्री संदीप जोशी, वेदपाल, मेयर अवनीत कौर, करनाल की मेयर रेणू बाला, भाजपा के जिला कार्यकारी अध्यक्ष देवेंद्र दत्ता, गजेंद्र सलुजा, अर्चना गुप्ता, भगवान दास कबीरपंथी, योगेश्वर दत्त, राजीव जैन, जिला उपाध्यक्ष तरुण गांधी, मीडिया प्रभारी दीपक सलुजा भी उपस्थित रहे।

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