त्तराखंड रोडवेज में हालिया बस खरीद घपले की जांच के बीच पुरानी बस खरीद की फाइल भी दोबारा खुल गई है। सरकार के आदेश पर नियोजन विभाग ने इस पूरे प्रकरण में तीन सदस्यीय समिति बनाकर जांच शुरू कर दी है। यह मामला पुरानी तकनीक वाली बस खरीद से जुड़ा है। वर्ष 2016 में रोडवेज के अफसरों ने पुरानी तकनीक की 400 से ज्यादा बसें खरीदी थीं। यूरो-4 मानक लागू होने के बावजूद अफसर यूरो-3 मानक वाली बसें खरीद लाए थे। तब कांग्रेस की सरकार थी।
रोडवेज के चर्चित बस खरीद मामले में परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने आठ सितंबर 2017 को जांच के आदेश दिए थे। लेकिन, रोडवेज के अफसरों ने बस खरीद से जुड़े दस्तावेज नहीं सौंपे और 27 माह जांच लटकी रही। अब सरकार ने नई जांच समिति बना दी है। नियोजन सचिव अमित नेगी ने समिति ने जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट देने को कह दिया है।
राज्य योजना आयोग के विशेषज्ञ और लोनिवि के इंजीनियर जांच टीम में
अपर सचिव-नियोजन मेजर योगेंद्र यादव की अध्यक्षता में गठित इस समिति में राज्य योजना आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ गंगा प्रसाद पंत और लोनिवि के एसई-विद्युत/यांत्रिक प्रमोद कुमार सदस्य के रूप में शामिल हैं। इस समिति ने जांच शुरू कर दी है।
27 माह तक रोडवेज ने नहीं दिए दस्तावेज
रोडवेज के अफसरों पर सरकार के आदेश-निर्देश भी बेअसर हैं। परिवहन मंत्री के निर्देश पर बस खरीद मामले की जांच 2017 को नियोजन विभाग को दी गई थी। यह विभाग बस खरीद से जुड़े दस्तावेज मांगता रह गया, पर 27 माह तक रोडवेज ने एक भी दस्तावेज नहीं सौंपा।
चार बार पत्र लिखने के बावजूद रोडवेज चुप क्यों रहा ?
पुरानी बस खरीद के मामले में नियोजन विभाग ने पहले 10 अक्तूबर 2017, फिर 10 नवंबर 2017 और फिर दो दिसंबर 2019 को पत्र भेजकर रोडवेज से दस्तावेज मांगे थे। इसके बाद 23 दिसंबर 2019 को परिवहन सचिव शैलेश बगौली ने रोडवेज एमडी को कड़ा पत्र भेजते हुए दस्तावेज देने के निर्देश दिए। अब जांच समिति के सख्त रुख को देखते हुए रोडवेज प्रशासन ने दस्तावेज सौंप दिए हैं।
मानक इसलिए जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने वाहनों से प्रदूषण की समस्या को कम करने के लिए 2016 में आदेश दिया था कि देश में बीएस फोर (यूरो-फोर) वाले वाहन ही बिक सकेंगे। मगर, रोडवेज ने बीएस-थ्री (यूरो-थ्री) की बसें खरीद लीं।
बीएस यानी ‘भारत स्टेट’ प्रदूषण मापने का पैमाना है। यह सीपीसीबी तय करता है। पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर वाहनों से निकलने वाले हानिकारक तत्वों का असर जांचने के बाद वाहन का स्तर तय किया जाता है। बीएस नियम इंजन से निकलने वाले हवा प्रदूषक तत्वों के हिसाब से तय होते हैं। बीएस का जितना बड़ा नंबर होगा, वाहन उतना कम प्रदूषण फैलाएगा। बीएस-3 वाहन बीएस-4 की तुलना में 80% ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।
रोडवेज प्रबंधन ने पुरानी बस खरीद से जुड़े कुछ दस्तावेज दिए हैं। इन सभी दस्तावेजों की जांच की जा रही है। शासन को जल्द ही जांच रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।
मेजर योगेंद्र यादव, अपर सचिव एवं अध्यक्ष-जांच समिति