स्पेस की तरह अब समुद्र में ताकत बढ़ाएं वैज्ञानिक: PM मोदी |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर्नाटक दौरे का आज दूसरा दिन है. शुक्रवार को प्रधानमंत्री भारतीय विज्ञान कांग्रेस के कार्यक्रम में शामिल हुए. भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 107वें सेशन को प्रधानमंत्री ने संबोधित भी किया. पीेएम ने युवा वैज्ञानिकों को देश के विकास, आम लोगों के जीवन को आसान बनाने वाली तकनीक डेवलेप करने की ओर काम करें.

आसमान की ऊंचाई के बाद समंदर की गहराई

प्रधानमंत्री ने यहां एक नया लक्ष्य तय किया और कहा कि भारत ने स्पेस के क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाई है, लेकिन अब वक्त आया है कि हम समुद्र के क्षेत्र में भी अपनी ताकत को बढ़ाएं. समुद्र में भी हमें पानी, फूड और एनर्जी के क्षेत्र में काम करना होगा. पीएम ने कहा कि समुद्र की गहराई में उतर वहां का मानचित्र बनाने और जिम्मेदारी से सतत पोषणीय विकास की भावना पर आधारित संसाधनों के दोहन की आवश्यक्ता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर I-STEM पोर्टल को लॉन्च किया, जो रिसर्च के क्षेत्र में काम करेगा. पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में कहा कि मेरे नए दशक की शुरुआत विज्ञान के कार्यक्रम से हो रही है, पिछली बार जब मैं बेंगलुरु आया था तब चंद्रयान लॉन्च हो रहा था. रिसर्च का इकोसिस्टम इस शहर ने विकसित किया है, जिससे जुड़ना हर युवा का सपना होता है. लेकिन इस सपने का आधार सिर्फ अपनी प्रगति नहीं बल्कि देश के लिए कुछ करने से ये सपना जुड़ा है.

धानमंत्री ने कहा कि देश आज विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ा है, ये लगातार 10 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है जबकि दुनिया की रफ्तार 4 फीसदी ही है. इनोवेशन इंडेक्स की रैंकिंग में भारत काफी ऊपर आ गया है, ये रफ्तार ऐसे ही आगे बढ़ती रहनी चाहिए. भारत के विकास की यात्रा विज्ञान के क्षेत्र के हाथ में है, अब जरूरत है कि देश के युवा वैज्ञानिक आम लोगों की भलाई के लिए काम करें.

देश को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं को 4 स्टेप पर आगे बढ़ना होगा.

इनोवेट > पेटेंट > प्रोडेक्शन > प्रोस्पर

पीएम ने कहा कि न्यू इंडिया को टेक्नोलॉजी भी चाहिए और लॉजिक भी. भारत के समाज को जोड़ने का काम साइंस के द्वारा किया जा सकता है. आज भारत में सस्ते फोन बन रहे हैं, इसकी पहुंच हर किसी के पास है और गरीब भी सरकार से जुड़ सकता है. पिछले पांच साल में रुलर डेवलेपमेंट के विकास को देश ने महसूस किया है, स्वच्छ भारत-आयुष्मान भारत इसका उदाहरण हैं.

पीएम मोदी बोले कि हमारी सरकार ने देश के 6 करोड़ किसानों को एक साथ सम्मान निधि का पैसा ट्रांसफर किया, ये सब विज्ञान की वजह से हुआ. आधार टेक्नोलॉजी की वजह से ये संभव हुआ, हर परिवार तक बिजली-शौचालय-गैस सिलेंडर किसे देना है, इसकी पहचान टेक्नोलॉजी की वजह से हुई.

जियो ट्रैकिंग और डेटा साइंस की मदद से प्रोजेक्ट की गति और भी तेज हुई है. हर काम को हम समय के अंदर पूरा करना चाहते हैं. आज किसान सीधा बाजार को अपना प्रोडक्ट बेच सकते हैं, डिजिटल टेक्नोलॉजी की वजह से आम किसान को मौसम की जानकारी मिल रही है.

भारत के विकास में टेक्नोलॉजी की उपयोगिता को और भी व्यापक बनाना है. वैज्ञानिकों को पानी की रिसाइक्लिंग के लिए टेक्नोलॉजी डेवलेप करनी है, वॉटर गवर्नेंस की ओर हमें बढ़ना होगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक को खत्म करने का संकल्प लिया है, ताकि पशु-पर्यावरण को बचा सकें. वैज्ञानिकों को प्लास्टिक का कोई विकल्प खोजना होगा, ताकि आम इंसान को दिक्कत ना पाए. आप जो समाधान देंगे, उसे लघु उद्योग बाजार में उतार पाएंगे. हमारा प्रयास 2022 तक कच्चे तेल के आयात को 10 फीसदी तक कम कर पाएं, इसके लिए हमें अपने देश में बायो फ्यूल जैसे क्षेत्र में काम करना होगा.

वैज्ञानिकों का यही योगदान देश को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने में योगदान देगा. भारत को इस तरह के वाहन बनाने होंगे, जो कि पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचाएं. टेक्नोलॉजी सरकार और आम लोगों के बीच का पुल है, ये तेज विकास-सही विकास में संतुलन का काम करती है. टेक्नोलॉजी निष्पक्ष होती है.

इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पंडित नेहरु से लेकर पीएम मोदी तक इस कार्यक्रम में हर प्रधानमंत्री शामिल हुआ है. उन्होंने कहा कि विज्ञान के मामले में अब भारत दुनिया के टॉप तीन देशों में शामिल है.

वैज्ञानिकों को पीएम मोदी ने दिया था संदेश

वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि भारत किसी से भी पीछे नहीं रह सकता. इस कार्यक्रम से पहले पीएम मोदी टुमकुर के श्री सिद्धगंगा मठ पहुंचे थे और पूजा अर्चना के साथ पौधारोपण किया.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को स्वदेशी अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ाने और उन्नत प्रौद्योगिकियों से संबंधित अनुसंधानों को सक्षम बनाने के लिए बेंगलुरू में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ की पांच युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं का उद्घाटन किया.

डीआरडीओ ने बताया, “ये प्रयोगशालाएं 35 साल से कम उम्र के आवेदकों के लिए खुली हैं. देश के लिए उन्नत तकनीकों में आत्मनिर्भरता हासिल करने और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए इन प्रयोगशालाओं का निर्माण किया गया है.”

डीआरडीओ ने एक बयान में कहा, “यह कदम भविष्य की प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास की नींव रखता है. डीआरडीओ के चयनित युवा वैज्ञानिकों को निर्धारित अनुसंधान क्षेत्रों में काम करने का अवसर दिया गया है.”

रक्षा मंत्रालय की अनुसंधान एंव विकास शाखा के मुताबिक, यंग साइंटिस्ट लैबोरेट्रीज बनाने की प्रेरणा डीआरडीओ पुरस्कार समारोह के दौरान 24 अगस्त 2014 को मोदी द्वारा दिए गए एक संबोधन से मिली|

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