पटना. जदयू नेता प्रशांत किशोर ने कहा है कि उनकी पार्टी ने संसद के दोनों सदन (लोकसभा और राज्यसभा) में सीएए का समर्थन क्यों किया, यह सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बता सकते हैं। नीतीश ही बता सकते हैं कि किन परिस्थितियों के चलते पार्टी ने यह फैसला लिया। प्रशांत पिछले दिनों सीएए और एनआरसी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर अपना पक्ष रख चुके हैं।
सीएए के खिलाफ था जदयू
प्रशांत ने सीएए को भेदभावकारी बताया। कहा- जदयू ने हर स्तर पर नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया था। मैं यह बहुत साफ कर देना चाहता हूं कि जदयू एनआरसी और सीएए के खिलाफ था। आप पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट देख सकते हैं, पहली असहमति जदयू की थी। हालांकि जदयू ने संसद में इस बिल का सपोर्ट किया और पक्ष में मतदान किया। अब यह तो नीतीश कुमार ही बता सकते हैं कि पार्टी को यह फैसला क्यों लेना पड़ा?
एनआरसी नहीं होना चाहिए
प्रशांत ने कहा- सीएए का एनआरसी से लिंक न हो, तो यह खतरनाक नहीं है। जब आप सीएए और एनआरसी को जोड़ते हैं तब यह न सिर्फ धर्म के आधार पर भेदभावपूर्ण होता बल्कि वर्ग के आधार पर भी भेदभाव करता है। कहा- एनआरसी नहीं होना चाहिए। अगर यह होता है तो करोड़ों लोग (विशेषकर गरीब) पर संकट आ जाएगा। अगर वे जरूरी दस्तावेज नहीं दे पाते हैं तो उनके लिए यह साबित करना बहुत कठिन हो जाएगा कि उनके पूर्वज भारत के नागरिक थे। उनका रोजगार छिन जाएगा, वे काफी परेशानी में पड़ जाएंगे। यह गरीबों के लिए बहुत बड़ी समस्या होगी। इसलिए एनआरसी नहीं होना चाहिए- यह जदयू का स्टैंड है। नीतीश कह चुके हैं कि एनआरसी नहीं होगा।
खास धर्म को मानने वाले मानते हैं कि दूसरे देश में उनके साथ अन्याय हो रहा
प्रशांत ने कहा कि संविधान में यह लिखा गया है कि धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं हो सकता। सीएए इस प्रावधान के अनुकूल नहीं है। सीएए में आप धर्म के आधार पर नागरिकता दे रहे हैं। यह इसलिए कर रहे हैं कि कुछ खास धर्म मानने वाले लोग यह मानते हैं कि दूसरे देश में उनके साथ अन्याय हो रहा है। यह अपने आप में बड़ी समस्या है और इसका विरोध होना चाहिए, लेकिन जब आप इसे एनआरसी के साथ जोड़ते हैं तब यह अधिक व्यापक हो जाता है।