मुंबई. आरबीआई ने फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा है कि सितंबर 2020 तक बैंकों का ग्रॉस एनपीए बढ़कर 9.9% पहुंच सकता है। इस साल सितंबर में 9.3% था। आरबीआई ने शुक्रवार को एफएसआर जारी की। उसका कहना है कि बदलते आर्थिक हालातों और क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट की वजह से एनपीए बढ़ने की आशंका है। दबाव की स्थिति में सरकारी बैंकों का ग्रॉस एनपीए 12.7% से बढ़कर 13.2% पहुंच सकता है। प्राइवेट बैंकों का एनपीए 3.9% से बढ़कर 4.2% पहुंचने की आशंका है।
आरबीआई ने बैंकों से कहा- संचालन व्यवस्था में सुधार करें
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अर्थव्यवस्था की पूरी क्षमता के अनुसार दक्षता बढ़ाने के लिए बैंक समेत भारतीय कंपनियों से संचालन व्यवस्था में सुधार लाने को कहा है। आर्थिक विकास दर में गिरावट की चिंता बढ़ने के बीच दास ने यह बात कही है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक वित्तीय बाजारों के प्रभाव को लेकर सतर्क रहने के साथ खपत और निवेश को पटरी पर लाना दो प्रमुख चुनौतियां हैं।
आरबीआई गवर्नर ने कोबरा इफेक्ट के प्रति आगाह किया
दास ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के 20वें संस्करण की भूमिका में कहा, ‘वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद के अंतर्गत आने वाले सभी नियामक वित्तीय प्रणाली में भरोसा मजबूत करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। मेरे हिसाब से अर्थव्यवस्था की पूर्ण क्षमता के अनुसार दक्षता बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण कारक है।’ दास ने ‘कोबरा इफेक्ट’ को लेकर भी आगाह किया। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब प्रयास किए गए समाधान से समस्या और विकराल हो जाती है। उन्होंने कहा, ‘असाधारण मौद्रिक नीति प्रोत्साहन से ब्याज दरें इतनी नीचे आ गईं हैं कि विकसित देशों में यह स्तर अब तक नहीं देखा गया, लंबे समय तक निम्न स्तर पर मुद्रास्फीति के बने रहने के कारण यह संभव हुआ। हालांकि बहुपक्षीय व्यापार को लेकर बाधाएं और उभरती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के जारी रहने से उसका असर वैश्विक वित्तीय बाजारों पर दिख सकता है।
क्रेडिट ग्रोथ 6 दशक के निचले स्तर पर आने की आशंका: इक्रा
रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में कर्ज वितरण की वृद्धि दर गिरकर करीब छह दशक के निचले स्तर 6.5 से सात प्रतिशत पर आ सकती है। पिछले वित्त वर्ष में ऋण वितरण की वृद्धि दर 13.3 प्रतिशत रही थी। एजेंसी ने कहा कि सुस्त आर्थिक वृद्धि दर, परिचालन के लिए पूंजी की कम जरूरत और बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के बीच जोखिम को लेकर बढ़ी सतर्कता के कारण वित्त वर्ष 2019-20 में ऋण वितरण की वृद्धि दर प्रभावित हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में छह दिसंबर तक ऋण वितरण में महज 80 हजार करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2018-19 और 2017-18 के दौरान समान अवधि में इसमें क्रमश: 5.4 लाख करोड़ रुपए और 1.7 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई थी।