केंद्रीय मानव विकास संसाधन मंत्रालय द्वारा बेहद चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। इसके मुताबिक पिछले तीन सालों में देश के प्रमुख संस्थान आईआईटी आईआईएम एनआईटी केंद्रीय यूनिवर्सिटी और टेक्नीकल कॉलेजों में तनाव और शोषण के कारण 81 छात्र आत्म हत्या कर चुके हैं। ये आंकड़ा मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने लोकसभा में पेश किया है। उन्होंने प्रतापराव पाटिल चिखलीकर, टीआर बालू और अब्दुल खालीख के जवाब में ये आंकड़ा पेश किया है।
लोकसभा में सवाल उठाया गया कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि आईआईटी चेन्नई जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में यौन शोषण और तनाव के कारण छात्र सुसाइड कर रहे हैं। इसके जवाब में केंद्रय मंत्री ने कहा कि सरकार छात्रों के विकास और तनाव दूर करने के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि छात्रों को तनाव से दूर करने के लिए वेलनेस सेंटर, गाइडेंस एवं काउंसलिंग यूनिट, स्टूडेंट काउंसलर्स की नियुक्ति, योगा सेशंस, अन्य गतिविधियां जैसे स्पोर्ट्स और कल्चरल एक्टिविटीज जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
तीन सालों में 81 छात्र कर चुके हैं सुसाइड
मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा सदन में पेश किए गए डाटा के अनुसार, पिछले तीने सालों में आईआईटी के 16 छात्र, एनआईटी के 12 छात्र, विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों के 21 छात्र और 28 अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्र उपरोक्त कारणों से आत्म हत्या कर चुके हैं। केंद्रीय मंत्री द्वारा जारी यह डाटा वाकई काफी चौंकाने वाला है।
पिछले सालों में यहां नहीं आया कोई मामला सामने
इसके अलावा एक अन्य डाटा सामने आया है, जो एचआरडी मिनिस्ट्री द्वारा एक आरटीआई के जवाब में पेश किया गया है। 02 दिसंबर को चंद्रशेखर गौर नाम के एक व्यक्ति ने आरटीआई के जरिए इस बारे में मंत्रालय से जानकारी मांगी है। इसके जवाब में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2014 से 2019 के बीच आईआईटी मद्रास के 7, आईआईटी खड़गपुर के 5 और आईआईटी दिल्ली एवं आईआईटी हैदराबाद से 3-3 छात्रों द्वारा सुसाइड करने के मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि आरटीआई में मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 5 सालों में इंदौर, पटना, जोधपुर, भुवनेश्वर, गांधीनगर, मंडी, तिरुपति, पलक्कड़, भलाई, जम्मू, गोवा और धरवाड़ से सुसाइड का एक भी मामला सामने नहीं आया है।