महिला सुरक्षा और गरिमा को लेकर पिछले तीन चार दिनों में संसद के अंदर जो गुस्सा दिखा था, शुक्रवार को वह महिला गरिमा के अपमान पर ही आकर खत्म हो गया। लोकसभा में गर्मागर्म माहौल के बीच केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के बयान से बौखलाए कांग्रेस के दो सांसदों ने ऐसा आचरण कर दिया कि कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
सदन में महिला मंत्री का अपमान
दरअसल केरल से जीतकर आए टीएन प्रतापन और डीन कुरीकोज अपनी बांहे चढ़ाते हुए उग्र अंदाज में वेल की ओर बढ़े थे। भाजपा सदस्यों ने इसे एक महिला मंत्री का अपमान करार दिया और माफी की मांग की। अब केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद पटेल की ओर से लोकसभा अध्यक्ष को नोटिस दिया गया है कि अगर दोनों सदस्य सदन के अंदर माफी नहीं मागते हैं तो उन्हें शीत सत्र के बाकी बचे पांच दिनों के लिए निलंबित किया जाए।
एक तरफ मंदिर बनाने की तैयारी हो रही, तो दूसरी ओर सीता जलाई जा रही
दरअसल, आग तभी भड़क गई थी जब शून्यकाल के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था- एक तरफ मंदिर बनाने की तैयारी हो रही है और दूसरी ओर सीता जलाई जा रही है। उन्होंने उन्नाव के संदर्भ मे यह बात कही थी।
महिरा सुरक्षा के मामले को सांप्रदायिक रंग देकर राजनीति न करें- ईरानी
जब जवाब देने के लिए ईरानी आईँ तो उन्होंने चेताया कि महिरा सुरक्षा और गरिमा के मामले को सांप्रदायिक रंग देकर राजनीति न करें। उन्होंने कहा कि जहां भी ऐसी घटनाएं हो रही है वहां सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। फांसी होनी चाहिए, लेकिन तृणमूल सदस्यों को यह भी बताना चाहिए मालदा में हो रही घटनाओं पर क्यों चुप रह जाते हैं।
लोकसभा में हंगामें के बाद कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित
इस क्रम में माहौल इतना गर्म हो गया कि कांग्रेस के दोनों सदस्य तेजी से वेल की ओर बढ़े। कुछ सदस्यों ने उन्हें रोकने की भी कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने। उस वक्त आसन पर बैठीं मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस नेता से कहा कि वह दोनों सदस्यों को माफी मांगने के लिए कहें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लिहाजा कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित हो गई। दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर भी भाजपा सदस्य माफी की मांग पर डटे थे। आखिरकार पूरे दिन के लिए कार्यवाही स्थगित हो गई।
सोमवार को कांग्रेस के दोनों सदस्यों से बिना शर्त मांफी मांगने की मांग होगी
बताया जाता है कि सोमवार को प्रल्हाद जोशी नियम 374 का हवाला देकर दोनों सदस्यों को एक सप्ताह के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव पढ़ेंगे। उनसे बिना शर्त मांफी मांगने की मांग की जाएगी और अगर ऐसा नहीं होता है तो लोकसभा अध्यक्ष से कार्रवाई का आग्रह करेंगे।