हरियाणा सरकार ने नवप्रवर्तित “पब्लिक गैंबलिंग निवारण अधिनियम, 2025” के तहत Probo, SportsBaazi और MPL Opinio जैसे ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रतिबंध 9 अप्रैल से प्रभावी माना जाएगा और इसे जनहित याचिका तथा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद लागू किया गया है।
नए कानून के तहत इन ऐप्स को सार्वजनिक सट्टेबाजी गतिविधियों की श्रेणी में रखा गया है और इनका संचालन अब हरियाणा में अपराध माना जाएगा।
मैच-फिक्सिंग और स्पॉट-फिक्सिंग पर सख्ती
यह कानून खास तौर पर मैच-फिक्सिंग और स्पॉट-फिक्सिंग जैसे अपराधों के खिलाफ सख्त कदम उठाता है। दोषियों को न्यूनतम 3 वर्ष की सजा, जो बढ़कर 5 वर्ष तक हो सकती है, तथा ₹5 लाख से शुरू होने वाले जुर्माने का प्रावधान है।
पुनरावृत्ति की स्थिति में यह सजा 7 वर्षों तक बढ़ सकती है।
फैंटेसी स्पोर्ट्स और ओपिनियन ट्रेडिंग पर अस्पष्टता
हालांकि इस कानून में “दक्षता पर आधारित खेलों” को छूट दी गई है, लेकिन इसमें फैंटेसी स्पोर्ट्स और ओपिनियन ट्रेडिंग को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। इस कारण से संबंधित कंपनियों और निवेशकों में कानूनी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
इस स्थिति को भांपते हुए MPL Opinio ने इस सप्ताह की शुरुआत में ही हरियाणा में अपनी सेवाएं बंद कर दी थीं। इसी महीने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी ऐसे प्लेटफॉर्म्स को राज्य में जियो-ब्लॉक करने का निर्देश दिया है, हालांकि यह आदेश राष्ट्रीय स्तर पर लागू नहीं है।
SEBI का रुख और बढ़ता बाजार
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने स्पष्ट किया है कि ये ऐप्स उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। बढ़ती जांच के बावजूद, ओपिनियन ट्रेडिंग उद्योग लगातार फैलता जा रहा है। वर्तमान में इसके पास 5 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं और ₹50,000 करोड़ से अधिक के लेन-देन होते हैं। उद्योग का अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2025 में ₹1,000 करोड़ तक की आय हो सकती है।
निवेशकों की रुचि बरकरार
Probo जैसे प्लेटफॉर्म को Peak XV Partners, Elevation Capital और The Fundamentum Partnership जैसे निवेशकों का समर्थन प्राप्त है, वहीं TradeX को Y Combinator का सहयोग मिल रहा है।
हरियाणा का नया कानून सट्टेबाजी की परिभाषा को व्यापक बनाता है — इसमें किसी भी मौखिक, लिखित या अप्रकट समझौते को शामिल किया गया है जो अनिश्चित घटनाओं के परिणाम पर आधारित हो और जिसमें गलत अनुमान के कारण आर्थिक या सामग्री हानि होती हो। इसी आधार पर ओपिनियन ट्रेडिंग ऐप्स को भी इस दायरे में शामिल किया गया है।