हरियाणा के 22 जिलों में से सिर्फ रेवाड़ी जिले में ही एकमात्र सरकारी वृद्धाश्रम कार्यरत है, जबकि बाकी जिलों में अभी तक वृद्धाश्रमों का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। रेवाड़ी स्थित यह आश्रय गृह 170 लोगों की क्षमता वाला है, परंतु वहां केवल 12 बुजुर्ग (9 पुरुष और 3 महिलाएं) रह रहे हैं। करीब 90 प्रतिशत कमरे खाली पड़े हैं। आश्रय गृह की स्थिति भी बेहद खराब पाई गई — रसोई की अलमारियों के शटर टूटे हुए हैं, खाने का सामान खुला पड़ा रहता है, और पूरे परिसर की सफाई के लिए केवल एक सफाईकर्मी नियुक्त है, जिसकी कार्यप्रणाली निरीक्षण में असंतोषजनक पाई गई।
यह जानकारी हरियाणा मानवाधिकार आयोग (HHRC) में वृद्धाश्रमों के निर्माण से संबंधित एक सुनवाई के दौरान सामने आई। आयोग की पीठ — अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा, सदस्य (न्यायिक) कुलदीप जैन और सदस्य दीप भाटिया — ने वीडियो कॉल के माध्यम से रेवाड़ी वृद्धाश्रम का वर्चुअल निरीक्षण भी किया।
2007 के कानून का उल्लंघन
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 की धारा 19 के अनुसार, राज्य सरकार को प्रत्येक जिले में कम से कम एक वृद्धाश्रम स्थापित करना आवश्यक है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी 12 जुलाई 2019 को इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था और हरियाणा मानवाधिकार आयोग को कानून के तहत कल्याणकारी योजनाएं लागू करने का निर्देश दिया था।
HHRC ने 3 अप्रैल को पारित आदेश में कहा, “वर्तमान शिकायतें लगभग सात वर्षों से लंबित हैं। प्रतीत होता है कि हरियाणा में वृद्धाश्रमों का निर्माण कछुए की चाल से हो रहा है।”
कई जिलों में भूमि तक चिन्हित नहीं
1 अप्रैल को समाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट के अनुसार झज्जर, पलवल, पानीपत, रोहतक और सिरसा में वृद्धाश्रमों के लिए अभी तक भूमि ही चिन्हित नहीं हुई है। चरखी दादरी, गुरुग्राम, कैथल, महेन्द्रगढ़ और नूंह में भूमि चिन्हित हो चुकी है, पर निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है।
भिवानी में भूमि आवंटन का प्रस्ताव विकास एवं पंचायत विभाग को भेजा गया है, जबकि अंबाला में मुख्यमंत्री के निर्देश पर विस्तृत निर्माण प्रस्ताव की प्रतीक्षा है। फरीदाबाद, फतेहाबाद, हिसार, जींद, कुरुक्षेत्र, सोनीपत और यमुनानगर में निर्माण स्वीकृतियों के लिए नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, HSVP और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की मंजूरी लंबित है।
कहीं-कहीं शुरू हुआ निर्माण कार्य
करनाल में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत तथा पंचकूला में माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड के अंतर्गत वृद्धाश्रमों का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है।
मानवाधिकार आयोग की सख्त टिप्पणी
HHRC ने अपने आदेश में कहा, “यह अत्यंत चिंता का विषय है कि वे वरिष्ठ नागरिक, जिन्होंने समाज की बुनियाद मजबूत करने में जीवन भर योगदान दिया, आज वृद्धावस्था में उपेक्षित और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उनके अधिकारों, गरिमा और समग्र कल्याण की रक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
आयोग ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, HSVP के मुख्य प्रशासक, विकास एवं पंचायत विभाग के निदेशक और नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के निदेशक को निर्देश दिए हैं कि वे व्यक्तिगत रूप से मामले को देखें और सभी जिलों में वृद्धाश्रमों के निर्माण कार्य में तेजी लाएं।