गुरुग्राम: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा राज्य प्रशासन को गुरुग्राम के डीएलएफ सिटी में बने 4,000 से अधिक अवैध निर्माणों पर त्वरित कार्रवाई करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि दो महीने के भीतर इन निर्माणों के खिलाफ आवश्यक कदम उठाए जाएं।
भूमाफियाओं की मिलीभगत पर हाईकोर्ट की नाराजगी
कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि अधिकारी भूमाफियाओं के साथ मिलकर अवैध निर्माणों को बढ़ावा दे रहे हैं। न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति विकास सूरी की पीठ ने कहा,
“यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि कुछ समूहों और भूमि माफियाओं का एक प्रभावशाली गठजोड़ विकसित कॉलोनी की मूल संरचना को नष्ट कर रहा है, और इसमें स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत है। अधिकारी इन अवैध और अनधिकृत निर्माणों को बढ़ावा दे रहे हैं, जो उनकी आँखों के सामने तेजी से हो रहे हैं।”
2018 की रिपोर्ट और आरडब्ल्यूए की याचिका
कोर्ट ने यह आदेश डीएलएफ सिटी रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (DLF City RWA) और DLF-3 Voice द्वारा 2021 में दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया। ये याचिकाएँ 2018 की एक रिपोर्ट पर आधारित थीं, जिसमें गुरुग्राम में अवैध निर्माणों की शिकायतों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।
फ्लैगेंट उल्लंघन: हाईकोर्ट ने प्रशासन को लताड़ा
कोर्ट में प्रस्तुत तस्वीरों और साक्ष्यों का संज्ञान लेते हुए पीठ ने पाया कि हरियाणा सरकार द्वारा निर्धारित जनसंख्या घनत्व के नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हो रहा है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि,
“लेआउट प्लान, भवन निर्माण नियमों और अन्य वैधानिक प्रावधानों का खुला उल्लंघन हो रहा है। स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के कारण अवैध निर्माणों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे शहर की योजना और संरचना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।”
4,033 प्लॉट्स में अवैध निर्माण, लेकिन कार्रवाई न के बराबर
राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि कम से कम 4,033 जनरल और EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी के प्लॉट्स में उल्लंघन पाए गए हैं, और कुछ मामलों में कार्रवाई की गई है।
हालांकि, कोर्ट ने रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद पाया कि,
“कुछ मामलों में 1975 के अधिनियम की धारा 10(2) के तहत नोटिस जारी किए गए हैं और कुछ मामलों में बहाली आदेश पारित किए गए हैं। लेकिन यह कार्रवाई पर्याप्त नहीं है और इसे तेजी से पूरा किया जाना चाहिए।”
सिविल कोर्ट के आदेशों पर भी सवाल
हाईकोर्ट ने यह भी देखा कि कई मामलों में सिविल कोर्ट ने स्टे (रोक) आदेश जारी किए हैं, जबकि हरियाणा डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन ऑफ अर्बन एरियाज एक्ट, 1975 के तहत यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।
इस पर कोर्ट ने सिविल मामलों को जल्द से जल्द निपटाने और स्थगन आदेशों को हटाने के भी निर्देश दिए हैं।
अंतिम आदेश: दो महीने में पूरी हो कार्रवाई
कोर्ट ने हरियाणा सरकार और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे तुरंत प्रभाव से अवैध निर्माणों पर कार्रवाई करें और दो महीने के भीतर इसे पूरा करें।
कोर्ट ने कहा,
“हम आदेश देते हैं कि उपरोक्त उल्लंघनों के खिलाफ संबंधित अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और इसे दो महीने के भीतर पूरा करना चाहिए।”
निष्कर्ष:
गुरुग्राम में तेजी से बढ़ रहे अवैध निर्माणों को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। प्रशासन की भूमाफियाओं के साथ मिलीभगत और लचर कार्यवाही को लेकर कड़ी आलोचना की गई है। अब देखना होगा कि क्या राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए सख्त कदम उठाती है या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह लंबा खिंचता है।