महामारी की शुरुआत से कोरोनावायरस के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को जानने के लिए किए गए अध्ययनों में पाया गया कि ये वायरस कई समस्याओं के साथ फेफड़े-हृदय और मस्तिष्क से संबंधित विकारों को भी बढ़ा सकता है। इससे संबंधित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि वायरस का संक्रमण मस्तिष्क की कार्यक्षमता के लिए गंभीर समस्या हो सकता है। कोरोना के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में एक नए अध्ययन में मस्तिष्क के संज्ञानात्मक कार्य पर इसके दुष्प्रभावों को लेकर लोगों को अलर्ट किया है। अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों में संक्रमण के कारण मध्यम से गंभीर बीमारी देखी गई थी, उनमें सिजोफ्रेनिया स्पेक्ट्रम एंड साइकोटिक डिसऑर्डर , एसएसपीडी जैसी बीमारियों का जोखिम काफी अधिक हो सकता है। अब तक 65 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में सिजोफ्रेनिया का खतरा अधिक देखा जाता रहा है। सिजोफ्रेनिया, एक गंभीर मस्तिष्क विकार है जिसके कारण सोच में विकृति के साथ कई प्रकार की भावनात्मक समस्याएं हो सकती हैं। ये बीमारी व्यक्ति के सोचने, चीजों को महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को भी प्रभावित करती है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को ऐसा लग सकता है कि जैसे उनका वास्तविकता से संपर्क टूट गया है, जो कुछ उनके साथ हो रहा है वो वास्तविक नहीं है। इससे प्रभावित लोगों को लग सकता है कि उन्हें कोई नियंत्रित कर रहा है। कोरोना के कारण होने वाले दुष्प्रभावों में सिजोफ्रेनिया की समस्या बड़े खतरे के तौर पर उभर रही है।
हेल्थ : मस्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रहा है कोविड-19,
