देश में परिवारिक विवाद के मामले बढ़ रहे हैं। बीते साल में 21 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं। केंद्र सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि कुटुंब अदालतों के पास 2020 में कुल 4,73,549 मामले सामने आए थे, जबकि इस वर्ष अक्तूबर 2021 तक यह आंकड़ा 4,94,817 तक पहुंच गया है। देश के विभिन्न राज्यों में अक्तूबर 2021 तक 11,79,671 लंबित हुए हैं, जहां इन मामलों में अभी तक गुहार लगाने वालों को न्याय का इंतजार है।
लंबित मामलों में सबसे अधिक मामले केरल राज्य में है, जहां पर 1,13,706 मामले हैं। जबकि दूसरे नंबर पर पंजाब में 82,135 और तीसरे नंबर पर 48,909 मामले राजस्थान में है। रिपोर्ट बताती है कि उत्तर प्रदेश में ऐसे 4,06,686 और दिल्ली में 48,904 ऐसे मामले हैं। अक्तूबर 2021 तक सामने आए मामलों में सबसे अधिक मामले उत्तराखंड राज्य से सामने आए थे। यहां अदालतों में 1,17,233 मामले सुनवाई के लिए पहुंचे जबकि केरल में दूसरे नंबर पर 36877 मामले और तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र में 25071 मामले दर्ज किए गए हैं।
रिपोर्ट के बताती है कि बीते दो सालों के आंकड़े में ये मामले अधिक जरूर हैं लेकिन 2019 में अदालतों के पास ऐसे 8,34,138 मामले दर्ज किए गए थे। 2019 में अदालतों में 5,52,384 मामलों का निपटारा हुआ था। कुटुंब अदालतों में 2020 में 2,75,691 और 2021 अक्तूबर तक 3,98,595 मामलों का निपटारा किया गया था। केंद्र सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय ने कुटुंब न्यायालय से सामने आई रिपोर्ट में देश के ये हालात सामने आए हैं। बीते दो सालों से देश में कोरोना का संकट रहा है और लगभग सभी गतिविधियां बंद रही है। मंत्रालय के मुताबिक देशभर में इस समय 732 कुटुंब न्यायालय कार्यरत हैं, जोकि राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में संचालित किए जा रहे हैं। इन न्यायलयों में किसी भी प्रकार के परिवारिक विवाद का निपटारा पूर्णत: न्यायपालिका पर निर्भर होता है, इसके लिए निपटान के लिए सरकार की तरफ से कोई भी समय सीमा तय नहीं है। केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार मामलों के त्वरित निपटारे और लंबित मामलों को पूर्ण करने का कार्य करती है। मंत्रालय के मुताबिक तेजी से मामलों का निपटारा किया जा सके, इसके लिए अगस्त 2011 में राष्ट्रीय मिशन का गठन किया गया था। यह मिशन, न्यायिक प्रशासन में बकाया, न्यायालयों के लिए बेहतर अवरंचना पर काम कर दिया है। इसके तहत आनलाइन व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है और मानव संसाधन को बढ़ाकर मामलों के निपटारे पर तेजी से कार्य किया जा रहा है।