भाई-बहन के अटूट स्नेह का पर्व रक्षाबंधन बृहस्पतिवार को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। हर वर्ष की तरह सावन पूर्णिमा की तिथि पर बहनों ने रक्षा सूत्र से भाइयों की कलाइयां सजाईं। रेशम की डोर के धागे भले ही कच्चे हों, लेकिन इसके पीछे का स्नेह अटूट और बेहद मजबूत होता है। बहन-भाई के प्यार के प्रतीक पर्व को लेकर घर-घर व्यापक तैयारियां की गई थीं। इसके उपरांत बहनों ने भाइयों की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर सुख-दुख में साथ निभाने का वचन भाइयों से लिया
11 अगस्त को भद्रा होने के कारण कुछ महिलाओं ने रात पौने नौ बजे के बाद राखी बांधी और कुछ महिलाएं शुक्रवार को आठ बजे राखियां बांधेंगी। रक्षाबंधन पर भाइयों ने भी बहनों को उपहार देकर हमेशा साथ निभाने का वादा किया। इस दौरान मुंह मीठा कराने का दौर भी चला। घर के बूढ़े-बुजुर्गों का पैर छूकर आशीर्वाद लिया।पानीपत के जाम ने बृहस्पतिवार को महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशान किया। जो महिलाएं अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के बाद व्रत खोलती हैं, उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। लघु सचिवालय से लेकर अनाज मंडी तक लगभग छह घंटे का जाम लगा रहा। कोई महिलाएं रोडवेज बस और कुछ अपनी गाड़ियों में दिनभर जाम में फंसी रहीं।