हरियाणा के भिवानी के डाडम में पहाड़ दरकने की दर्दनाक घटना ने तीन मासूम बच्चों की जिंदगी पहाड़ से भी भारी कर दी।
पांच साल पहले ये मासूम अपनी मां को खो चुके थे, जबकि हादसे के बाद पिता ने भी दुनिया से अलविदा कह दिया। सिर से पिता का साया उठा तो उम्र भर के लिए अनाथ होने का गम भी उनकी जिंदगी से जुड़ गया। ये तीनों बच्चे अपनी बुआ के पास रह रहे हैं। मासूम बच्चे बार-बार पूछ रहे हैं कि बुआ पापा घर कब आएंगे, लेकिन बुआ इन बच्चों को क्या बताती कि अब उनके पिता कभी नहीं लौटेंगे
भालौठ निवासी 52 वर्षीय धर्मबीर डाडम की खान नंबर बीटी-37-38 में मुंशी के हेल्पर के तौर पर काम करता था। धर्मबीर तीन बच्चों का पिता था। उसका बड़ा लड़का 12 वर्षीय मयंक, दस साल की बेटी वर्षा व आठ साल की छोटी बेटी वंशिका है।
पत्नी की मौत के बाद धर्मबीर के कंधों पर ही तीनों बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आ पड़ी थी। वह रोजीरोटी कमाता और तीनों बच्चों की देखभाल भी करता।
राजबाला के पास ही तीनों बच्चे रहने लगे और धर्मबीर रोजाना खान में जाकर मेहनत मजदूरी का काम करने लगा। बच्चों की जिंदगी अपने जीवन के गम भुलाकर हंसी खुशी आगे बढ़ ही रही थी कि अचानक उनकी जिंदगी में मुसीबतों का पहाड़ अचानक आ गिरा।
मां ने खो दिया अपना लाल
पहाड़ दरकने के दर्दनाक हादसे में पंजाब के होशियारपुर के गांव कोई निवासी दिनेश दत्त भी दो भाइयों में छोटा था। उसकी मां दिल की मरीज हैं। उसने अपना लाल खो दिया, मगर परिजनों ने अभी इस दिल दहला देने वाले हादसे के बारे में उसे नहीं बताया। उन्हें डर है कि कहीं बेटे के चले जाने के गम में वह भी हृदयाघात से न घिर जाए, क्योंकि जिंदगी के आखिरी पड़ाव में बेटे का अपनी आंखों के सामने यूं चले जाना किसी भी माता-पिता के लिए असहनीय सदमा है।