कोरोना महामारी (Corona Epidemic) के कारण कृषि उपज से उम्मीद के अनुरूप लाभ नहीं मिलने की मायूसी किसानों के चेहरों पर साफ झलक रही है। ऐसे में, प्रगतिशील किसान (Progressive farmer) हल्दी की खेती (Turmeric cultivation) का नया विकल्प अपना रहे हैं। सुविख्यात मत्स्य पालक पद्मश्री सुलतान सिंह इन दिनों अपने फार्म में हल्दी की खेती पर विविध प्रयोग में व्यस्त हैं, ताकि किसानों को रोजगार के नए अवसर सुलभ करा सकें।
यहां खास किस्म की औषधीय गुणयुक्त (Medicinal properties) हल्दी तैयार हो रही है, जिसमें लगभग चार-पांच प्रतिशत करक्युमिन होगा। इससे शरीर में फ्री रेडिकल्स हटाने में मदद मिलेगी। दावा है कि हल्दी में प्रचुर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बायोटिक और एंटी वायरल गुणों ( Anti oxidant, Anti biotic & Anti viral properties) का समावेश है, जिससे तमाम अन्य बीमारियों के साथ कोरोना को हराने में सहायक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी कारगर मदद मिलती है।
करनाल से करीब बीस किलोमीटर दूर स्थित बुटाना में पद्मश्री सुलतान सिंह की विशेष हैचरी है, जहां वह अर्से से मत्स्य पालन कर रहे हैं। इस क्षेत्र में भी उन्होंने गहन शोध-अनुसंधान की बदौलत मछलियों की कई प्रजातियां विकसित कीं। इनमें चीतल मछली भी शामिल है, जिसकी देशभर में पहली बार किसी हैचरी में ब्रीडिंग का करिश्मा भी उन्होंने ही दिखाया।
सुलतान बताते हैं कि कोरोना काल में परंपरागत फसलों के उत्पादन से लेकर बिक्री तक किसानों के लिए हालात अनुकूल नहीं रहे, जिसे देखते हुए उन्होंने अपने फार्म पर गुणकारी हल्दी को लेकर प्रयोगों का सिलसिला बढ़ा दिया। सुलतान करीब दो साल से इस कार्य में जुटे हैं। बकौल सुलतान हल्दी न केवल स्वास्थ्य के लिए रामबाण औषधि है,
बल्कि यह अच्छा मुनाफा भी देती है। हरियाणा और खासकर इस इलाके में हल्दी की खेती पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन उन्हें यकीन है कि किसान इसे अपनाएं तो उन्हें काफी फायदा होगा।
चीन में हुई रिसर्च का हवाला देते हुए वह बताते हैं कि यह वायरस के सेल को संक्रमित करने से पहले ही मार देता है। डेंगू, हेपेटाइटिस बी और जीका वायरस बाधित करने में भी इसकी भूमिका दमदार रही है। यही कारण है कि बाजार में इसकी मांग बढ़ी है। पिछले साल बामुश्किल 20-25 रुपये किलो तक सीमित रही हल्दी इस बार 50-60 रुपये किलो तक बिक रही है।
किसानों को करेंगे प्रशिक्षित
पद्मश्री सुलतान सिंह के बेटे नीरज भी इस मिशन में सक्रिय हैं। उन्होंने बताया कि फार्मर फर्स्ट योजना के तहत सरकार भी हल्दी की खेती को प्रोत्साहित कर रही है, इसीलिए उन्होंने अपने फार्म में इस मिशन को नई गति दी है। किसान इसे फसल विविधिकरण योजना के तहत अपना सकते हैं। इसके बीज की भी अच्छी मांग है। कई जगह तो अब सब्जी की दुकानों पर भी लोग हल्दी बेच रहे हैं। हल्दी के पाउडर से लेकर चिप्स तक तैयार किए जा रहे हैं। इसे देखते हुए वह हल्दी उत्पादन के लिए किसानों को प्रशिक्षित भी करेंगे।