NOC के लिए रेंट के साढ़े छह लाख मांग रहा चंडीगढ़ प्रशासन, डीएस ढेसी के फंड के 20 लाख अटके

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नव नियुक्त चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी डीएस ढेसी चंडीगढ़ प्रशासन के रुख से खासे परेशान हैं। ढेसी मुख्य सचिव के पद से रिटायर होकर हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग के चेयरमैन बने थे। चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं देने के चलते ढेसी अपने सर्विस फंड के 20 लाख रुपये नहीं निकाल पा रहे हैं। थक हारकर न्याय पाने के लिए उन्हें हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी है। हालांकि यह मामला ढेसी के सीएम के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनने से पहले का है।

सीएम के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी ढेसी चंडीगढ़ प्रशासन की कारगुजारी से परेशान

चंडीगढ़ प्रशासन ने डीएस ढेसी पर सरकारी कोठी में रहने पर किराये, उसकी ब्याज तथा जुर्माना राशि के रूप में साढ़े छह लाख रुपये निकाल रखे हैं। मामला 1998 का है। उस समय बंसीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे और ढेसी उनके उप प्रधान सचिव के पद पर कार्यरत थे। तब उन्हें चंडीगढ़ में रहने के लिए सरकारी कोठी अलाट हुई थी। ढेसी पर आरोप है कि केंद्र में प्रति नियुक्ति पर जाने के बाद उन्होंने कोठी नहीं छोड़ी तथा रेंट व जुर्माने की राशि बढ़कर 6 लाख 59 हजार 425 रुपये हो चुकी है, जिसकी रिकवरी जरूरी है।
मामला बंसीलाल की सरकार के समय का, दिल्ली जाने के कारण मकान खाली नहीं कर पाए थे ढेसी

चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा की जाने वाली इस रिकवरी के खिलाफ ढेसी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की हुई है, जिस पर अब 16 नवंबर को सुनवाई होनी है। हाई कोर्ट में ढेसी ने अपनी याचिका में चंडीगढ़ प्रशासन के उस आदेश को रद करने की मांग की, जिसके तहत प्रशासन ने सरकारी मकान खाली न करने के आरोप में उन पर सामान्य किराये का पचास गुणा जुर्माना लगा रखा है।

ढेसी की याचिका के अनुसार, वह हरियाणा के मुख्य सचिव के पद से 30 जून 2019 को सेवानिवृत हुए थे। 1998 में जब वे मुख्यमंत्री के उप प्रधान सचिव थे, तब उन्हें चंडीगढ़ के सेक्टर सात में कोठी अलाट हुई थी। साल 2010 में वह केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले गए।

ढेसी की याचिका के अनुसार, दिल्ली में उनको मकान मिलने में देरी के चलते उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि उनको कुछ दिन के लिए यह मकान रखने दिया जाए, लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन ने तबादले के आदेश के दिन से उस मकान को खाली करने का आदेश देते हुए जितने समय मकान का प्रयोग किया जाता रहा, उसके अनुसार

सामान्य किराये का पचास गुणा जुर्माना लगा कर इस राशि को 3 लाख 23 हजार 348 रुपये बना दिया। नियम के अनुसार ढेसी छह माह तक मकान रख सकते हैं। जब वह सेवानिवृत हुए तो उन्होंने प्रशासन से एनओसी के लिए आवेदन किया। चंडीगढ़ प्रशासन ने जुर्माने की राशि पर ब्याज जोड़ कर इसे 6 लाख 59 हजार 425 रुपये बना दिया तथा इस राशि के जमा कराने पर ही एनओसी देने की बात कही।

 

ढेसी ने याचिका में कहा है कि चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हेंं एनओसी नहीं दी, जिस कारण उनके फंड में जमा 20 लाख रुपये नहीं निकल पा रहे हैं। याचिका में अदालत को जानकारी दी गई कि हरियाणा के एक आइएएस अधिकारी जो चंडीगढ़ में डीसी रहे, उन्होंने चंडीगढ़ से रिलीव होने के बाद भी कई माह तक मकान अपने पास रखा, लेकिन प्रशासन ने उन पर कोई जुर्माना नहीं लगाया। प्रशासन इस मामले में दोहरा रवैया अपना रहा है। इस लिए प्रशासन के आदेश पर रोक लगाई जाए। बता दें कि यह अधिकारी मोहम्मद शाइन हैं, जो हरियाणा में वापस लौट आए हैं।

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