मुख्यमंत्री ने एमएसपी पर धान की बिक्री नहीं होने के आरोपों को भी खारिज किया है। उन्होंने कहा कि इसमें खेल होता है। हरियाणा ने व्यवस्था कर रखी है कि हर किसी किसान को अपनी फसल की बिक्री के लिए मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। चूंकि धान व गेहूं का एमएसपी केंद्र सरकार तय करती है, इसलिए इस फसल को एमएसपी पर खरीदने में हरियाणा को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन पहले हम अपने राज्य के किसानों का धान खरीदते हैं।
70 फीसद किसान चाहते है की उनकी फसल की भुगतान सीधे उनके खाते में ही भेजी जाये
हरियाणा के करीब 70 फीसद किसान चाहते हैं कि उनकी फसल का भुगतान आढ़तियों के माध्यम के बजाय सीधे खातों में भेजा जाए। करीब 30 फीसद किसानों ने आढ़तियों के माध्यम से भुगतान हासिल करने की इच्छा जाहिर की है। यह किसान वे हैं, जिनका आढ़तियों के साथ बरसों से लेनदेन चला आ रहा है। हालांकि बाकी किसानों का भी आढ़तियों से लेनदेन होता है, लेकिन वह पहले अपने खातों में पेमेंट मंगवाना चाह रहे हैंं। उसके बाद ही आढ़तियों का हिसाब करेंगे।
हरियाणा सरकार ने फसल के भुगतान में देरी होने के दावों को खारिज करते हुए कहा कि करीब एक हजार करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया जा चुका है। फसल की पेमेंट का प्रावधान यह है कि फसल बिक्री के बाद जब आई फार्म अप्रूव हो तो उसके तीन दिन के भीतर भुगतान किसान या आढ़ती के खाते में भेज दिया जाए, लेकिन आढ़ती सोचता है कि जिस दिन उसकी फसल की बिक्री हुई, उसके तीन दिन के भीतर उसे भुगतान मिल जाना चाहिए। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं है।
बाजरे व मक्के की खरीद से हर साल 600 करोड़ का नुकसान
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने साफ कर दिया कि हरियाणा के किसानों का बाजरा और मक्का प्राथिमकता के आधार पर एमएसपी पर खरीदा जाएगा। प्रदेश सरकार ने 2170 रुपये क्विंटल बाजरे का एमएसपी तय किया है, जबकि मार्केट में रेट 1200 से 1500 रुपये क्विंटल है। इसके रेट राज्य सरकार तय करती है। बाजरा व मक्का केंद्रीय पूल में नहीं जाता। इसकी खरीद के बाद हरियाणा सरकार को वापस ओपन मार्केट में मक्का और बाजरे की बिक्री करनी पड़ती है। राशन डिपो में मक्का भेजने के बाद जो बचता है, वह सब ओपन मार्केट में जाता है। ऐसा करने से सरकार को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान होता
पिछले साल हरियाणा को करीब 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस बार यह नुकसान और ज्यादा होने की संभावना है। मनोहर लाल के अनुसार चूंकि बाजरे व मक्के का एमएसपी केंद्र सरकार तय नहीं करती, इसलिए हम सिर्फ अपने प्रदेश के किसानों का ही मक्का और बाजरा खरीदेंगे। दूसरे राज्यों के किसानों की यह दोनों फसल हरियाणा में नहीं खरीदी जाएंगी। राजस्थान और पंजाब अपने राज्य में इन दोनों फसलों के लिए हरियाणा की तरह एमएसपी तय कर सकते हैं, ताकि वहां के किसान यहां अपनी फसल बेचने के लिए न आ सकें।