कुरुक्षेत्र –दुनिया भर में कोरोना काल के बीच भारत के तमाम उत्सव भी इस बार फीके नजर आ रहे हैं। देश भर में अगले महीने दशहरा का पर्व भी अब सांकेतिक तरीके से ही मनाया जाना है। बढ़ते संक्रमण के बीच इस साल दुर्गा पूजा और रावण दहन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होना है। ऐसे में अब इस तरह के आयोजनों से जुड़े कारीगर रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे हैं।
कोरोना काल के बीच अगले महीने होने वाले दशहरा उत्सव पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले नहीं जलाए जाने हैं। इस कारण हरियाणा में इस काम से जुड़े कारीगरों में मायूसी है। कारीगरों का कहना है कि दशहरा पर पुतलों को बनाने के लिए एक डेढ़ महीने पहले ही रामलीला कमेटी की ओर से ऑर्डर मिल जाया करते थे। हालांकि इस साल सार्वजनिक आयोजन पर लगी रोक के कारण पुतला दहन का आयोजन भी नहीं होना है।
व्यापारियों की कमाई हुई प्रभावित
दशहरा के वक्त पुतला दहन के लिए हर साल देश भर में कारीगरों को पुतले बनाने का काम दिया जाता है। इसमें बांस के बिजनस से जुड़े लोगों के अलावा, रंग बिरंगे कागज, पटाखों और अन्य जरूरी सामानों के व्यापारी भी जुड़े होते हैं। इस साल दशहरा का उत्सव ना होने से इन सभी की कमाई पर संकट आ गया है। हरियाणा सी स्थिति उत्तर भारत के अन्य राज्यों के मजदूरों के साथ भी है।
मूर्ति निर्माण से जुड़े मजदूरों पर भी संकट
इसके अलावा दुर्गा पूजा का आयोजन ना होने के कारण देश भर में पांडाल निर्माण से जुड़े कारोबारियों और मजदूरों की कमाई भी प्रभावित हुई है। दुर्गा पूजा के लिए बनने वाली मूर्तियों के निर्माता और तमाम मेलों में सामान बेचने वाले मजदूरों तक सभी पर कोरोना का असर देखने को मिला है।