• हरियाणा और पंजाब के बीच 45 साल पुराने सतलुज यमुना लिंक (एसवाइएल) नहर निर्माण का विवाद समाप्‍त होता नहीं दिख रहा है। सुप्रीम काेर्ट के आदेश के बाद भी पंजाब अपने रुख पर कायम है और नहर का निर्माण पूरा कराने व हरियाणा को इसका पानी देने को तैयार नही है। ऐसे में केंद्र सरकार इस मामले के हल के लिए एक और प्रयास करेगी।

♦ 45 साल पुराने विवाद पर हरियाणा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के साथ और पंजाब की अलग राह

इस विवादित मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार एक और सार्थक पहल करेगी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार अगस्त माह में ही दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बैठक कराएगी। केंद्र सरकार ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में अपना जबाव भी दिया है। हालांकि फौरी तौर पर यह आसान नहीं है मगर केंद्र सरकार के इस प्रयास पर अब दोनों राज्यों की नजर टिकी रहेंगी। 1966 में पंजाब से पृथक हुए हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गया था।


♦   सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की दो मुलाकात हो चुकी हैं निरर्थक

गत वर्ष सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के बीच दो दौर की वार्ता कराई। इसमें हरियाणा तो 10 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अड़ा रहा मगर पंजाब ने इस मामले को लटकाने का काम किया। पंजाब के तत्कालीन मुख्य सचिव ने एक बार भी इस मामले में सटीक जबाव नहीं दिया। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने  केंद्र सरकार से दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच वार्ता कराकर जबाव मांगा है।