भारत में 2019 में डेटा ब्रीच से जुड़ी घटनाओं के चलते भारतीय संगठनों को औसतन 12.8 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ा था। (PC Pexels)
नई दिल्ली, पीटीआइ। डेटा चोरी की वजह से भारतीय संगठनों को पिछले साल अगस्त से लेकर इस साल अप्रैल तक बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। IBM की ओर से बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि में हर संगठन को डेटा चोरी की वजह से 14 करोड़ रुपये की औसतन क्षति हुई। इस रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों को हुए कुल नुकसान में मालवेयर अटैक की वजह से हुई क्षति की हिस्सेदारी 53 फीसद रही। वहीं, सिस्टम से जुड़ी दिक्कतों की वजह से 26 फीसद और मानवीय गलती के कारण 21 फीसद का आर्थिक नुकसान कंपनियों को झेलना पड़ा।
♦ पिछले साल के मुकाबले 9.4 फीसद की वृद्धि
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में डेटा चोरी की वजह से औसत नुकसान 2019 के मुकाबले 9.4 फीसद की बढ़ोत्तरी के साथ 14 करोड़ रुपये हो गई। इस शोध के मुताबिक इस साल हर लॉस्ट या चोरी हुए डेटा के लिए संगठनों को 5,522 रुपये चुकाना पड़ा, जो पिछले साल के मुकाबले 10 फीसद अधिक रहा।
IBM की इस रिपोर्ट के मुताबिक हर डेटी चोरी की पहचान करने में लगने वाला औसत समय 221 दिन से बढ़कर 230 दिन हो गए। वहीं, डेटा ब्रीच को रोकने के लिए लगने वाला औसत समय 77 दिन से बढ़कर 83 दिन हो गए।