बजट 2020 एक क्लासिक टी-20 मैच की तरह रहने वाला है। एक तरफ आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट और कम राजस्व या राजकोषीय अंतर है, तो दूसरी तरफ मांग को प्रोत्साहित करने, निवेश चक्र को पुनर्जीवित करने और बाजार की उम्मीदों को मैनेज करने की जरूरत है। यह सब सरकार के लिए किसी चक्रव्यूह को भेदने से कम नहीं है। सभी कैटेगरीज में राजस्व की कमी से राजस्व में तो कमी होगी ही साथ ही पूंजीगत व्यय में भी कटौती होगी।
एयर इंडिया, बीपीसीएल और कॉनकॉर के विनिवेश से सरकार के लिए कुछ चीजें आसान होंगी। हालांकि, इसे अगले वित्त वर्ष तक खींचा जा रहा है। कोई भी इस पर बहस कर सकता है कि सरकार को पिछले साल सु्स्ती के प्रारंभिक संकेत मिलने पर राजकोषीय विस्तार के लिए जाना चाहिए था। उस समय चीजें थोड़ी ठीक थीं और फिसलने का खतरा कम था। हालांकि, अब सरकार राजकोषीय विस्तार के मौर्चे पर सतर्क होगी।
अब अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इस आम बजट से निम्म उम्मीदें की जा सकती हैं।
1. इंडिविजुअल्स के लिए टैक्स में छूट
2. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स
3. घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए कुछ सेक्टर्स में आयात शुल्क में बदलाव
4. विदेशी सोवरीन बॉन्ड्स जारी किये जाएं
5. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और कृषि से जुड़े सुधार
6. इंफ्रास्ट्रक्चर- रेलवे, रोड, डिफेंस, हाउसिंग
7. रणनीतिक विनिवेश/निजिकरण
8. टैक्स प्रक्रिया की कमियों को दूर करने के उपाय
9. फाइनेंशियल सेक्टर और एमएसएमई को मजबूत करने के उपाय
यह आम बजट ऐसे समय में पेश होने जा रहा है, जब अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की बड़ी आवश्यकता है। हम उम्मीद करते हैं कि वित्त मंत्री राजकोषीय स्थिति, अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और निवेशकों व उद्योगों के हितों को लेकर एक बैलेंस बनाने में कामयाब होंगी