संघ और भाजपा से मुकाबले के लिए प्रेरक बनाएगी कांग्रेस

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवकों एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं से मुकाबले के लिए कांग्रेस ने जिला स्तर पर प्रेरक तैयार करने की योजना बनाई है। देशभर में प्रेरक बनाए जाएंगे। इसी कड़ी में राजस्थान में 40 प्रेरक नियुक्त किए जाएंगे। इन प्रेरकों को शारीरिक एवं बौद्धिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में ट्रेनिंग सेल के इंचार्ज सचिन राव ने मंगलवार को जयपुर में एक सौ कार्यकर्ताओं का इंटरव्यू लिया। अब इनमें से 40 प्रेरक नियुक्त किए जाएंगे।

सचिन राव का कहना है कि 40 साल से कम उम्र के कार्यकर्ताओं को प्रेरक बनाया जाएगा। इनका ग्रेजुएट होना आवश्यक है। इन कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने के लिए सात दिन का सिलेबस तैयार किया गया है। इसके तहत प्रेरकों को आरएसएस की तर्ज पर शारीरिक एवं बौदि्धक प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये ब्लॉक स्तर तक कांग्रेस का नया कैडर तैयार करने का काम करेंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी में प्रशिक्षण का काम देखने वाले सचिव अजीत सिंह शेखावत ने बताया कि प्रेरकों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक मुद्दों के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें प्रत्येक विषय को लेकर जागरूक रहने के लिए कहा जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रेरक नये कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़ने का काम भी करेंगे।

केंद्र सरकार में लंबित मामलों के निपटारे में सांसदों का सहयोग लेगी गहलोत सरकार

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार केंद्र सरकार में लंबित प्रदेश से जुड़े मुद्दों के निस्तारण के लिए सांसदों का सहारा लेगी। राज्य के सभी 25 लोकसभा सदस्यों को केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में लंबित ऐसे मुद्दों की सूची सौंपी जाएगी, जिनका लंबे समय से निस्तारण नहीं हो पा रहा है। इनमें सबसे बड़ा मुद्दा केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश के हिस्से में आने वाले जीएसटी के पांच हजार करोड़ रुपये की राशि लंबे समय से भुगतान नहीं करना शामिल है। इसके साथ ही मदरसों के संचालन के लिए प्रति वर्ष केंद्र सरकार से मिलने वाले नौ करोड़ रुपये भी अब तक नहीं मिल सके हैं। इसी तरह राज्य विधानसभा में मॉब लिंचिंग और ऑनर कि¨लग कानून पारित होने के बाद भी राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने के मामले में भी सांसदों की मदद लेने कर योजना है।

हालांकि राज्य सरकार इस बात को लेकर आशंकित है कि उसके आग्रह के बावजूद सांसद मुश्किल ही केंद्र के समक्ष प्रदेश के मुद्दे उठाएंगे। इसका कारण राज्य के सभी 25 लोकसभा सदस्य भाजपा के होना है। प्रदेश में एक भी लोकसभा सांसद कांग्रेस का नहीं है।

20 मंत्रालयों के 100 मुद्दों की सूची तैयार

मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य के अधिकारियों ने केंद्र सरकार के ऊर्जा, वित्त, परिवहन, पर्यटन, कृषि, खान, अल्पसंख्यक मामलात, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज,गृह,जलशक्ति और पशुपालन सहित 20 मंत्रालयों के 100 मुद्दों की सूची तैयार की है। इनमें सबसे अधिक मुद्दे अंतरराज्यीय जल विवादों को लेकर है। इनमें सबसे अहम रावी-व्यास-सतलुज समझौता है। इसमें पाकिस्तान के हिस्से का पानी स्टोरेज नहीं होने के कारण बहकर पाकिस्तान चला जाता है। राज्य के जलसंसाधन मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला का कहना है कि पाकिस्तान जाने वाले पानी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद् मोदी ने बयान तो कई बार दिया,लेकिन अब तक इस दिशा में हुंआ कुछ भी नहीं। कल्ला का कहना है कि यदि पाकिस्तान बहकर जाने वाला पानी रोक लिया गया तो प्रदेश के किसानों को काफी लाभ होगा ।

उल्लेखनीय है कि पिछली वसुंधरा राजे सरकार ने भी अपने कार्यकाल में राज्य से जुड़े मामलों की केंद्र सरकार के समक्ष पैरवी के लिए सांसदों का सहारा लिया था।

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