मकर संक्रांति के पर्व पर मंगलवार को जयपुर में खूब पतंगबाजी हुई। सुबह से ही लोग छत पर नजर आए। पतंगबाजी भी परवान पर रही। जयपुर की पतंगबाजी विश्व प्रसिद्ध है। साथ ही यहां संक्रांति पर दानपुण्य का विशेष महत्व माना जाता है। शुभ कार्यों की शुरुआत बुधवार से होगी। अधिकतर धार्मिक कार्यक्रम भी बुधवार को होंगे। माघ कृष्ण पंचमी बुधवार 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर 8 घंटे पुण्यकाल का संयाेग है।
पतंगबाजी चरम पर
शहर में पतंगबाजी का सुरूर सुबह से ही चरम पर रहा। पतंगबाजी के लिए परकोटे में युवाओं की टोलियां छतों पर हैं। पतंगबाजी के पेच लडऩे लगे। दिन भर लोग पतंगबाजी का आनंद लेते रहे। चारदीवारी के बाजारों में आम दिनों से अधिक भीड़ दिखाई दी।
पतंग-मांझा खरीदने होड़
शहर के प्रमुख बाजारों सहित परकोटे की गलियों में देररात तक पतंग-मांझा खरीदने वालों की रौनक देखते ही बन रही थी। बाजारों में भी देर रात तक खरीदारी होती रही। शहर के हांडीपुरा, हल्दियों का रास्ता, अजमेरी गेट, चांदपोल बाजार, पुरानी बस्ती और संजय बाजार में पतंगों की खरीददारी परवान पर रही।
जयपुर में काइट फेस्टिवल का उत्साह
जयपुर में मकर संक्रांति पर पतंगोत्सव 14 से 16 जनवरी तक मनाया जाएगा। राजस्थान के पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस उत्सव का हिस्सा बनने दूर-दूर से लाेग आते हैं। इस दौरान आयोजित पतंगबाजी प्रतियोगिता में जाने-माने पतंगबाज भाग लेते हैं। पतंगोत्सव पोलो ग्राउंड में मनाया जाता है।
संक्रांति पर पतंगबाजी का चलन क्यों
मकर राशि में इस दिन सूर्य का संक्रमण होता है। इसलिए यह दान पुण्य का त्योहार है। इसमें भी सूत यानी धागे के दान का अपना अलग महत्व है। इसलिए जयपुर के राज परिवार ने पतंगबाजी की शुरुआत की। ताकि पतंग के साथ धागा सभी लोगों में बंटे। धीरे धीरे यह त्यौहार पतंगबाजी के शौक में तब्दील हो गया।