Odisha: बालेश्वर मुख्य चिकित्सालय की बदहाली देख धरने पर बैठे केंद्रीय मंत्री

बालेश्वर। Union Minister Pratap Shadhangi. बार बार लिखित सूचना देने के बावजूद बालेश्वर मुख्य चिकित्सालय की व्यवस्था में कोई सुधार न होता देख आखिरकार केंद्रीय मंत्री प्रताप षाड़ंगी को धरने पर बैठना ही पड़ गया। वह भी नए साल के पहले दिन आधी रात को 12:00 बजे बालेश्वर मुख्य चिकित्सालय परिसर में। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद सभी लोग आश्चर्य चकित रह गए।

दरअसल, केंद्रीय मंत्री प्रताप षाड़ंगी बालेश्वर के सांसद भी हैं। वह नए साल के प्रथम दिन रात के करीब 9:30 बजे जिला मुख्य चिकित्सालय का अचानक दौरा करने पहुंचे। वह सबसे पहले सर्जरी वार्ड में पहुंचे और वहा पर इलाज करा रहे मरीजों का हालचाल जाना। साथ ही, मरीजों के परिजनों स्वस्थ सेवा के बारे में भी जानकारी ली। जिस पर मरीजों के परिजनों ने केंद्रीय मंत्री से अपना दुख दर्द बया करने के साथ चिकित्सा व्यवस्था की खामी से भी उन्हें अवगत कराया। जिसमें मरीजों को दी गई बेडशीट और डॉक्टरों द्वारा पैसा मागने की शिकायत शामिल थी। यह सुनकर केंद्रीय मंत्री आहत हो उठे और वार्ड से बाहर आकर अस्पताल परिसर में धरने पर बैठ गए। इस मौके पर मरीजों के परिजन भी उनके साथ थे।

इसके बाद केंद्रीय मंत्री चिकित्सालय के सुप्रीटेंडेंट डॉक्टर सुधीर कुमार घोष तथा सीडीएमओ बनर्जी प्रकाश छोट राय को मौके पर बुलाया तथा उन्हें चिकित्सालय की अव्यवस्था के बारे में पूछताछ की। इधर, केंद्रीय मंत्री के धरना पर बैठने की जानकारी मिलते ही बालेश्वर के जिलाधीश के सुदर्शन चक्रवर्ती भी वहां पहुंचे गए। उन्होंने केंद्रीय मंत्री के साथ सर्जरी वार्ड समेत विभिन्न वार्डों का निरीक्षण किया। मरीजों के मुंह से वहीं शिकायत सुनने के बाद जिलाधीश ने तुरंत सीडीएमओ को गंदा बेडशीट तुरंत हटाकर नया या साफ सुथरा बेडशीट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। साथ ही, उन्होंने केंद्रीय मंत्री को आश्वासन दिया कि उन्हें दोबारा ऐसी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा। इसके बाद केंद्रीय मंत्री प्रताप षाड़ंगी ने समर्थकों के साथ अपना धरना समाप्त किया।

आए दिन चर्चा में रहता है जिला मुख्य चिकित्सालय

उल्लेखनीय है कि बालेश्वर जिला मुख्य चिकित्सालय आए दिन चर्चा में रहता है। कभी डॉक्टरों द्वारा मरीजों से मोटी रकम मागने की सूचना मिलती रहती है। तो कभी यहा कार्यरत कर्मचारियों द्वारा मरीजों के परिजनों से पैसे ऐंठने की सूचना मिलती है। ऐसा भी आरोप लगता है कि पैसा ना देने के कारण डॉक्टरों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते मरीजों की जान तक चली जाती है। जिसके चलते आए दिन मरीजों के परिजनों और यहा के डॉक्टरों और कर्मचारियों के बीच मारपीट की घटना आम बात हो गई है।

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