पंचकूला फर्जी बिल करेक्शन मामले में हेडक्वार्टर की ओर से गठित की गई टीम की जांच में चौंका देने वाला खुलासा हुआ है। आरोपी मनीष सब डिवीजन में सुपरवाइजर के साथ बैक ऑफिस में भी काम करता था। ऐसे में वह सब डिवीजन और बैक ऑफिस की आईडी और पासवर्ड चोरी कर फर्जी तौर पर बिल करेक्शन कर देता था। एनवाईजी कंपनी ने शुक्रवार को लेटर जारी कर मनीष को टर्मिनेट कर दिया है। साथ ही मनीष को पुलिस जांच व विभागीय जांच में शामिल होने को कहा गया है। पहले सब डिवीजन की आईडी व पासवर्ड खोलकर बिल करेक्शन की रिक्वेस्ट भेजता। इसके बाद उसे बैक ऑफिस में जाकर अप्रूवल देता था। फर्जीवाड़े में कॉमर्शियल असिस्टेंट के अलावा जिन-जिन कर्मचारियों या अधिकारियों की आईडी व पासवर्ड का इस्तेमाल किया है, उनसे भी पूछताछ की जा रही है।
हाई बिल के सुपरविजन का चार्ज था मनीष के पास
निगम के सब डिविजन सिटी, सब अर्बन और मदनपुर के एरिया के उपभोक्ताओं के बनने वाले हाई बिल के सुपरविजन का चार्ज मनीष के पास था। डिफाल्टर्स की लिस्ट भी अपने पास रखता था, ताकि उनसे सेटिंग कर पैसे बना सके। पिछले 6 महीनों में जितने भी करेक्शन हुए हैं, उनका आॅडिट किया जाएगा।
मनीष के साथ 4 से 5 लोग हो सकते हैं शामिल
बिजली निगम की जांच में अब तक चार मामले ऐसे सामने आए हैं, जिनमें फर्जी तौर पर बिजली के बिलों की करेक्शन की गई है। बिजली निगम की ओर से उन मामलों का खुलासा नहीं किया जा रहा है। जांच में यह भी सामने आया कि फर्जीवाड़े में मनीष अकेला ही शामिल नहीं है, बल्कि उसके अलावा 4 से 5 और लोग इस खेल में संलिप्त हैं। यूएचबीवीएन के सीएमडी ने जल्द मामले में जांच कर रिपोर्ट मांगी, ताकि उसके आधार पर डिपार्टमेंटल कार्रवाई की जा सके।
एसडीओ ने लेटर जारी कर मांगा जवाब
तीन एरिया के बिलों के बारे में एनवाईजी कंपनी के कर्मचारियों से जवाब मांगा है। तीन बिल 3 लाख, 1 लाख और 80 हजार के हैं, जिसमें बिना किसी के अप्रूवल के ही बिल को कम किया गया है। ऐसे में शुक्रवार को सिटी सब अर्बन के एसडीओ ने लेटर जारी कर जिन-जिन के आईडी से करेक्शन किया है, उनसे लिखित तौर जवाब मांगा गया है।
आईपी नंबर 70 किसके नाम पर, पता नहीं लगा
फर्जी बिल करेक्शन के लिए आईपी नंबर 70 का भी इस्तेमाल किया गया है। यह आईपी नंबर किसी का पर्सनल है और उससे पिछले कुछ महीनों में फर्जी तौर पर बिजली बिल करेक्शन का काम किया गया है। अब तक बैक ऑफिस की अप्रूवल मिलते ही बिल में करेक्शन की जा सकती थी। अब जितने बिलों में करेक्शन होगी, उसकी फाइल बनेगी और ऑडिट होगा। ऑडिट के बाद ही करेक्शन की फाइनल अप्रूवल होगी।