हरियाणाः मैट्रिक छात्रवृत्ति स्कीम में 21 करोड़ से ज्यादा का घोटाला, 12 अफसरों-कर्मियों पर केस |

हरियाणा के पांच जिलों में जिला कल्याण अधिकारी कार्यालयों द्वारा मैट्रिक छात्रवृत्ति स्कीम में करोड़ों का घोटाला किए जाने का मामला सामने आया है। हिसार स्थित स्टेट विजिलेंस कार्यालय ने संबंधित विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों सहित 12 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।

भिवानी, फतेहाबाद, हिसार, सिरसा और चरखी दादरी जिलों में 17 करोड़ 25 लाख 57 हजार 576 रुपये के इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। यह घोटाला वर्ष 2015 से 2019 तक पोस्ट मैट्रिक स्कीम के तहत अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में किया गया है।

अधिकारियों-कर्मचारियों पर मिलीभगत करके छात्रों के खातों में जाने वाली राशि को आधार नंबर बदलकर, फर्जी बैंक खाता खुलवाकर गबन करने का आरोप है। आरोपियों से जिला कल्याण विभाग के एक उपनिदेशक और एक जिला कल्याण अधिकारी सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं।

मामले के तहत अधिकारियों ने मिलीभगत करके अनुसूचित जाति के छात्रों के वीएलडीए और एमपीएचडब्ल्यू का डिप्लोमा फ्री में घर बैठे करवाने व छात्रवृत्ति दिलवाने का लालच देकर घोटाले को अंजाम दिया गया। कुछ छात्रों व संस्थाओं के माध्यम से अलग-अलग गांवों से अनुसूचित जाति के छात्रों के फार्म भरवाकर उनके आधार कार्डों, मूल प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र आदि की फोटो प्रतियां हासिल कर ली। कुछ छात्रों के आधार नंबरों से छेड़छाड़ करके भी फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया।

इस स्कीम का पैसा डकार गए अधिकारी

मामले के अनुसार भारत सरकार द्वारा जुलाई 1981 में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति स्कीम चलाई गई थी। इसके तहत दशमी कक्षाओं में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को 230 से 1200 रुपये प्रतिमाह तक छात्रवृत्ति तथा नॉन रिफंडेबल फीस दी जाती है।

पिछड़ा वर्ग के छात्रों को 160 से 750 रुपये तक प्रतिमाह छात्रवृत्ति और नॉन रिफंडेबल फीस दी जाती है और वर्ष 2017-18 से ट्यूशन फीस का 25 प्रतिशत या पांच हजार रुपये, जो भी कम है वह दिया जाता है। यह स्कीम 2015 से पहले मैनुअल चलाई जा रही थी, लेकिन 2015-16 में इसे ऑनलाइन कर दिया गया।

इनके खिलाफ हुआ केस दर्ज

कल्याण विभाग के उपनिदेशक अनिल कुमार, सेवानिवृत्त उपनिदेशक राजिंद्र सिंह सांगवान, सहायक चंडीगढ़ बिलेंद्र सिंह, जिला कल्याण अधिकारी कार्यालय सोनीपत के लेखाकार कम लिपिक सुरेंद्र कुमार, सेवानिवृत्त जिला कल्याण अधिकारी फतेहाबाद बलवान सिंह, जिला कल्याण अधिकारी भिवानी विनोद चावला, जिला कल्याण अधिकारी भिवानी सुरेश कुमार के अलावा हिसार अर्बन एस्टेट-2 निवासी अरविंद सांगवान, भिवानी के खरक खुर्द निवासी तेजपाल, वाल्मीकि बस्ती हनुमान गेट भिवानी निवासी राजकुमार, नेहरू कॉलोनी भिवानी निवासी अशोक कुमार और बाढ़ड़ा भिवानी के जेवली निवासी सुनील कुमार के खिलाफ हिसार विजिलेंस ने केस दर्ज किया है।

एचकेसीएल कंपनी ने बनाया था सॉफ्टवेयर

ऑनलाइन स्कीम चलाने के लिए ट्रिगमा कंपनी के साथ अनुबंध था, जिसने इसके लिए सॉफ्टवेयर बनाया था। वर्ष 2017 में ट्रिगमा कंपनी का अनुबंध खत्म होने पर एचकेसीएल कंपनी के साथ अनुबंध किया गया। इस कंपनी द्वारा बनाए गए पोर्टल पर छात्र को यूजर आईडी व पासवर्ड बनाकर विभागीय शर्तों के अनुसार अपना आवेदन करना होता है।

संस्थान छात्र के आवेदन की जांच कर जिला कल्याण अधिकारी के पास भेजता है। अधिकारी की जिम्मेदारी आवेदनों की तसदीक करके निदेशक के पास भेजने की होती है। निदेशक कार्यालय की प्रशिक्षण शाखा द्वारा जिला कल्याण अधिकारी की सिफारिश के आधार पर नोटिंग कर केस तैयार किया जाता है और अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) के पास भेजा जाता है, जहां से राशि की स्वीकृति मिलती है।

इसके बाद संबंधित सहायक स्वीकृति अनुसार कंप्यूटर पर मैनुअली छात्रों की सूची तैयार करता है और बिल तैयार कर डीडीओ को पास करवाने के लिए भेजता है। डीडीओ से खजाना अधिकारी कार्यालय और फिर फाइल बैंक में भेजी जाती है। बैंक द्वारा उन खातों में राशि ट्रांसफर की जाती है, जिनके खाते आधार से लिंक होते हैं, बाकी में ऑब्जेक्शन लगाकर वापस भेजा जाता है। इसके बाद मैनुअली रिकॉर्ड भेजा जाता है, जिसके तहत सब गोलमाल किया गया।

यूं हुआ घोटाले का पर्दाफाश

आरोपियों ने छात्रों के दाखिला श्री वैंकटेश्वरा विश्वविद्यालय अमरोहा उत्तर प्रदेश, आदेश विश्वविद्यालय बठिंडा पंजाब, लवली प्रोफेशनल विश्वविद्यालय जालंधर पंजाब, श्री सत्या साई विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश, अकाल विश्वविद्यालय तलवंडी साबो पंजाब, आरआईएमटी विश्वविद्यालय मंडी गोबिंदगढ़ पंजाब, संत बाबा भाग सिंह विश्वविद्यालय जालंधर पंजाब, देशभक्त विश्वविद्यालय मंडी गोबिंदगढ़ पंजाब, सनराइज विश्वविद्यालय अलवर राजस्थान, खालसा कॉलेज अमृतसर, खालसा विश्वविद्यालय अमृतसर पंजाब, जीएनए विश्वविद्यालय फगवाड़ा पंजाब, सिटी विश्वविद्यालय लुधियाना पंजाब, मोनार्ड विश्वविद्यालय हापुड़ उत्तर प्रदेश आदि संस्थानों में दिखाकर छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया। इसके बाद जैसे ही वेरिफिकेशन इन कॉलेजों में गई तो वहां से लिखित जवाब में आया कि इस नाम का कोई छात्र उनके यहां दाखिल नहीं है। किसी के जवाब में आया कि उनके यहां यह कोर्स ही नहीं है।

शिकायत के आधार पर 12 आरोपियों के खिलाफ 18 दिसंबर को एफआईआर नंबर 18 के तहत विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 218, 409, 420, 466, 467, 468, 471, 120बी और पीसी एक्ट की धारा 13(1) सी व डी/13(2) के तहत केस दर्ज किया गया है।

किस जिले में कितना घोटाला

जिला – वर्ष – छात्र – घोटाला राशि
फतेहाबाद – 2015-16 – 314 – 1,32,31,990 रुपये
फतेहाबाद – 2016-17 – 517 – 2,31,90,525 रुपये
फतेहाबाद – 2107-18 – 748 – 3,52,80,500 रुपये
भिवानी – 2015-16 – 290 – 1,10,81,495 रुपये
भिवानी – 2016-17 – 227 – 99,57,167 रुपये
भिवानी – 2017-18 – 290 – 1,24,26,495 रुपये
हिसार – 2015-16 – 74 – 21,34,650 रुपये
हिसार – 2016-17 – 510 – 1,56,16,795 रुपये
हिसार – 2017-18 – 671 – 2,85,97,237 रुपये
हिसार – 2018-19 – 21 – 6,89,700 रुपये
सिरसा – 2015-16 – 120 – 35,65,840 रुपये
सिरसा – 2016-17 – 150 – 33,60,790 रुपये
सिरसा – 2017-18 – 280 – 93,06,522 रुपये
च. दादरी – 2017-18 – 80 – 32,17,870 रुपये

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