तय तो पहले ही हो गया था कि जुमे की नमाज के दौरान जामा मस्जिद पर लोगों को इकट्ठा होना है। दिल्ली पुलिस पूरी तरह सजग और सतर्क थी। लेकिन जब जुमे की नमाज के बाद लोग जामा मस्जिद के बाहर हजारों के हुजूम में निकलने लगे तो सब कुछ बदला हुआ था।
लोगों के हाथों में तिरंगा था, होठों पर हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे। हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, आपस में सब भाई भाई जैसे नारों पुरानी दिल्ली के इलाके के लिए एक अलग ही नजारा था। दीगर बात यह थी कि लोगों में नाराजगी भी थी लेकिन क्या मजाल कि कोई हिंसा जैसी बात भी करता।
हालांकि शाम ढलने के साथ कुछ लोगों का सब्र जवाब दे गया। प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
दरअसल जुमे की नमाज के दौरान जामा मस्जिद पर पहुंचे पुलिस के अधिकारियों को जब गुलाब के फूल देकर स्वागत किया गया, अंदाजा तभी लग गया था शुक्रवार के प्रदर्शन में गांधीगीरी से अपनी बात रखी जाएगी।
नमाज के खत्म होने के बाद प्रदर्शनकारी जब जामा मस्जिद से दिल्ली गेट की ओर बढ़े तो एकबारगी पुलिस को लगा कि माहौल बिगड़ जाएगा। इस भीड़ में प्रदर्शन कर रहे दरियागंज के अहमद तारिक ने कहा कि हम अपनी आवाज सरकार के सामने रख रहे हैं। कोई हिंसा नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि जो लोग हिंसा कर रहे हैं उनके साथ सख्ती होनी चाहिए। इतना कहकर वह भी हाथ में तिरंगा लेकर आगे बढ़ गए। भीड़ में नमाज से लौटे हारुन, इश्तियाक और लइक ने बताया कि वह अपनी आवाज रखने के लिए आए है न कि कोई दंगा करने के लिए।
हालांकि दोपहर एक बजे शुरू हुआ प्रदर्शन जब शाम के चार बजे तक चला तो उपायुक्त कार्यालय के बाहर खड़ी भीड़ ने एक बार फिर नमाज के वक्त पर अपना सिर झुका लिया। लेकिन अंधेरा होते होते माहौल पूरी तरह से बदल गया और आगजनी शुरू कर दी।