उत्तराखंड में आठ प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं लेकिन 1.6 प्रतिशत लोग शराब के लती हो गए हैं। छह हजार से अधिक लोग नशीले इंजेक्शन लगा रहे हैं। यह खुलासा नेशनल ड्रग डिपेंडेंसी ट्रीटमेंट सेंटर एम्स की रेंडम सर्वे रिपोर्ट में हुआ है।
समाज में नशे को रोकने के लिए समाज कल्याण विभाग राज्य में नेशनल एक्शन प्लान फॉर ड्रग डिमांड डिडक्शन कार्यक्रम के तहत काम करेगा। देहरादून और नैनीताल में इसकी शुरुआत हो चुकी है।
नेशनल ड्रग डिपेंडेंसी ट्रीटमेंट सेंटर एम्स की रिपोर्ट के अनुसार गांजे का सेवन 3.38 प्रतिशत लोग कर रहे हैं, जबकि .53 प्रतिशत लोग इसके लती हो गए हैं। अफीम का नशा 2.58 प्रतिशत लोग कर रहे हैं, जबकि .32 प्रतिशत लोग इसके लती हैं। 2.09 प्रतिशत लोग दवा लेते हैं और .21 प्रतिशत लोग इसके आदी हो चुके हैं और कोकीन की आदत 0.02 प्रतिशत लोगों में हैं।
समाज कल्याण विभाग नशे के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम चलाएगा। नशा मुक्ति, उपचार, नशा छोड़ चुके व्यक्तियों का पुनर्वास और रोजगार दिलाने की दिशा में काम करेगा। नेशनल एक्शन प्लान के तहत सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय की ओर से 2 करोड़ 20 लाख रुपये मिले हैं। नैनीताल और देहरादून में इस पर काम शुरू हो गया है।
नेशनल एक्शन प्लान फॉर ड्रग डिमांड डिडक्शन कार्यक्रम के तहत इरका (इंटीग्रेटेड रीहैबिलिटेशन सेंटर फॉर एडिक्ट्स) 13 जिले में बनेंगे। इनमें इलाज के साथ ही नशे के लती व्यक्ति की काउंसिलिंग, इलाज के बाद देखरेख, स्किल डेवलपमेंट आदि होगा। खास बात यह है कि इरका को सीधे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के साथ जोड़ा जाएगा।
इसके तहत सरकारी अस्पतालों में ऐसे मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनेंगे। साथ ही निजी अस्पताल अगर ऐसे मरीजों के इलाज को आगे आते हैं तो समाज कल्याण विभाग उनको भी फंडिंग करेगा। इस कार्यक्रम के लिए एनजीओ को फंडिंग की जाएगी। साथ ही नशे के खिलाफ काम कर रहे विभिन्न विभागों को भी समाज कल्याण विभाग सहयोग करेगा। सभी विभाग को एकीकृत कर उक्त योजना के तहत काम करने की जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग की होगी।
ओडीआईसी सेंटर भी बनेंगे
नशे की गतिविधि ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। इसके लिए ओडीआईसी (आउट रीच एंड ड्रॉपिंग सेंटर) बनेगा। इस सेंटर में नशे के लती व्यक्ति की स्क्रीनिंग होगी। साथ ही काउंसिलिंग के लिए लाएंगे। सामाजिक आधिकारिता मंत्रालय के अधीन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मदद देगा।
डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को दिया जाएगा प्रशिक्षण
उक्त कार्यक्रम के तहत डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही स्कूली बच्चों को नशे के दुष्प्रभाव के बारे में बताने के साथ ही रोकथाम के बारे में बताया जाएगा। इसमें पंचायतीराज विभाग, एनजीओ समेत अन्य सरकारी विभागों को प्रशिक्षण देने के साथ ही उनकी भूमिका सुनिश्चित की जाएगी। नशे के दुष्प्रभाव और रोकथाम के लिए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में सेमिनार भी होंगे।
नेशनल एक्शन प्लान फॉर ड्रग डिमांड डिडक्शन कार्यक्रम की शुरुआत हो रही है। देहरादून और नैनीताल जिले के लिए रकम आई है। समाज कल्याण निदेशक के स्तर से रकम आवंटित की जा रही है। अगले वर्ष के प्लान के लिए 75 लाख रुपये भारत सरकार से शीघ्र मिलेंगे। अन्य जिलों के लिए भी प्लान बनवाया जाएगा।