नई दिल्ली : झारखंड में चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही यह भी तय हो गया है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 जनवरी में ही होंगे।
ऐसे में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party), भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta party) और कांग्रेस (Congress) चुनावी तैयारी में जुट गई हैं। इस बीच विधायक बनने का सपना देख रहे भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों को नेताओं के दरबार में चक्कर लगाने के बजाय पार्टी को मजबूत करने की हिदायत दी गई है। उनके काम करने के तरीके को लेकर भी प्रदेश नेतृत्व नाराज है। माना जा रहा है कि पार्षद नगर निगमों के काम को प्रचारित करने में असफल रहे हैं और उनकी वजह से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है। अब उनके कामकाज पर पूरी नजर रखी जाएगी, जिससे कि विधानसभा चुनाव की तैयारी में कोई कमी न रहे।
दिल्ली प्रदेश भाजपा चुनाव प्रभारी प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को पार्षदों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि किसी भी पार्षद को टिकट के लिए उनके या फिर किसी और नेता के यहां चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। कौन क्या काम कर रहा है, इसकी पूरी जानकारी पार्टी नेतृत्व के पास है।
उन्होंने उनसे निगमों के काम को प्रचारित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी, जिस पर अधिकांश पार्षदों ने चुप्पी साध ली। बैठक में मौजूद नेताओं का कहना था कि डेंगू के रोकथाम का मामला हो या फिर वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए निगमों की ओर से उठाए गए कदम, किसी भी काम को पार्षदों ने प्रचारित नहीं किया।
अपने काम को लेकर जनता के बीच जाने के बजाय अधिकांश पार्षद टिकट के लिए नेताओं की परिक्रमा में लगे हुए हैं। यही वजह है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार इन कामों का श्रेय ले रही है। इस कमी को दूर करने के लिए पार्षदों को 15 दिनों तक अपने वार्ड में जनसंर्पक अभियान चलाने को कहा गया है।
इसी के साथ प्रत्येक पार्षद कम से कम दो घंटे अनाधिकृत कॉलोनियों में जाकर लोगों को कॉलोनियों के नियमितीकरण की जानकारी देगा। बताते हैं कि बैठक से पहले ही इस बात के संकेत कई पार्षदों को मिल चुके थे कि उनके कार्य को लेकर पार्टी नेतृत्व के पास शिकायत पहुंची है। प्रदेश के एक पदाधिकारी ने बताया कि पिछले दिनों भी कई नेताओं ने चुनाव प्रभारी के सामने पार्षदों के काम पर आपत्ति दर्ज कराई थी, इसलिए अब सख्त कदम उठाया जा रहा है।