अनलॉक-1.0 का दूसरा चरण चल रहा है, मगर इंडस्ट्री पर कोरोना का बड़ा असर अभी भी साफ नजर आ रहा है। लॉकडाउन के चलते बंद हुए उद्योग खुलने के बाद भी पूरी रफ्तार नहीं पकड़ पाए हैं। जिले के ज्यादातर बड़े उद्योगों में ही 30 से 50 फ़ीसदी तक प्रोडक्शन हो रहा है। क्षेत्र की दो कंपनियां धारूहेड़ा स्थित हीरो और गुड़गांव जिला के मारूति प्लांट में ही प्रोडक्शन धीमा है। इसके चलते इन कंपनियों से जुड़े 500 से ज्यादा सप्लायर पूरी तरह प्रभावित हैं।
हालांकि अधिकारी उम्मीद जता रहे हैं कि 8-10 दिन में उद्योगों के उत्पादन में और तेजी आएगी। संभावना है कि 20-30 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ औद्योगिक इकाइयों में प्रोडक्शन पटरी पर आ जाए। लेकिन चिंता ये भी है कि कोरोना वायरस के केस लगातार बढ़ रहे है। ऐसे में इंडस्ट्री के उत्पादन पर किसी सूरत में दोबारा ब्रेक लगते हैं तो बड़ा नुकसान होगा।
दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी हीरो के धारूहेड़ा प्लांट के सूत्रों की माने तो लॉकडाउन से पहले 5000-5200 बाइकें हर रोज बनती थी। लॉकडाउन के बाद नए सिरे से शुरू हुआ उत्पादन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इस समय 2500 से 3000 के बीच उत्पादन पहुंच रहा है। यानी कि पहले से करीब आधी ही बाइकें बन पा रही हैं। हालांकि दो सप्ताह पहले तक की स्थिति देखें तो यहां 1000-1200 बाइकें बन रही थी। यानी कि प्रोडक्शन रूटीन में आ रहा है, मगर अभी इसमें समय लगेगा। कंपनी में 75-80 फीसदी तक स्टाफ पहुंचने की जानकारी है। यहां उत्पादन लगभग आधा होने के चलते हीरो से जुड़ी 250 से ज्यादा सप्लायर इकाइयां भी प्रभावित हैं।
डिमांड कम होने से सप्लायर पर असर
जिले में 80 प्रतिशत से ज्यादा औद्योगिक इकाईयां ऑटो मोबाइल सेक्टर से जुड़ी हैं। वाहन निर्माता कंपनियों से डिमांड के अनुसार ही ये सप्लायर कंपनियां माल का उत्पादन करती हैं। कार और दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियों में जितना प्रोडक्शन बढ़ेगा तो बाकी ऑटो पार्ट कंपनियों में भी माल की डिमांड बढ़ेगी और उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा। क्षमता से अधिक मात्रा में उत्पादन कर कंपनियों के लिए स्टॉक करना भी संभव नहीं है। इसी के चलते मारूति ऑटो पार्ट्स निर्माता मुसासी, सोकेट बनानी वाली रॉकमैन, पेंट निर्माता नैरोलेक के अलावा मिंडा और कपारो के उत्पादन पर भी असर है।
ये अच्छा… अभी तक प्रशासन की शर्तों पर खरे उतरे उद्योग
सरकार के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा उद्योगों को खोलने की गाइडलाइन जारी की थी। उसमें गेट पर स्क्रीनिंग, सोशल डिस्टेंसिंग, सेनिटाइजेशन और मास्क की अनिवार्यता के साथ ही कई तरह की शर्तें लगाई गई थी। प्रशासन का दावा है कि इन पर अधिकारियों की टीम मॉनिटरिंग भी कर रही है। अभी तक किसी भी कंपनी में शर्तों के उल्लंघन का कोई मामला या कार्रवाई सामने नहीं आई है। नियमों को पूरा करते हुए उत्पादन कर रही कंपनियों को अधिकारी भी सराहा रहे हैं।
स्टॉक माल का हो रहा इस्तेमाल
उद्योगों में पहले से स्टॉक माल का उपयोग कर भी उत्पादन चला है। अब संभव प्रोडक्शन बढ़ाकर उत्पाद तो तैयार हो रहे हैं, मगर अब मार्केट में उनकी बिक्री पर इंडस्ट्री की आगे की गति निर्भर करेगी। बाजार में यदि वाहनों के साथ ही अन्य उत्पादों की बिक्री बढ़ती है तो इंडस्ट्री का काम बढ़ेगा। यदि कोरोना का असर बढ़ता है तो उद्योगों का काम बढ़ पाने में चुनौती रहेगी।
हफ्तेभर में प्रोडक्शन बढ़ने की उम्मीद : जीएम
जिला उद्योग केंद्र के जीएम दीपक वर्मा का कहना है कि अब जिला में तकरीबन औद्योगिक इकाईयां अनुमति लेकर प्रोडक्शन शुरू कर चुकी हैं। उत्पादन बढ़ना भी शुरू हो गया है। उम्मीद है कि 8-10 दिन में प्रोडक्शन बढ़ेगा।
असाही… 25% भी काम नहीं, स्टाफ भी कम
ग्लास निर्माता कंपनी असाही इंडिया ग्लास के प्लांट की वर्किंग पर भी बड़ा कोरोना इफेक्ट पड़ा है। कंपनी सूत्रों के अनुसार यहां प्रोडक्शन अभी 25 प्रतिशत तक भी नहीं हो पा रहा है। स्टाफ भी इसी अनुपात में बुलाया जा रहा है। पहले यहां 1700-1800 कर्मचारी हर रोज काम कर रहे थे, अब स्टाफ भी 30-40 फीसदी तक संख्या रह गई है। कंपनी में उत्पादन पूरी तरह ट्रैक पर नहीं आने का कारण मारूति जैसी कंपनियों में काम की गति धीमा होना है। क्योंकि असाही मारूति के भी ग्लास तैयार करती है।