जबलपुर. यहां की खमरिया की फायरिंग रेंज में पहली बार तोप का परीक्षण किया गया। अलग-अलग एंगल से फायरिंग की जांच कर अब यह सारंग गन (तोप) सेना को सौंपी जाएगी। सारंग गन की क्षमता 30 किमी से ज्यादा है। परीक्षण में 4 फायर किए गए, जिसमें 15 डिग्री, फिर 0 डिग्री, फिर 15 डिग्री पर फायर हुए।
सूत्रों के अनुसार इस तोप का निर्माण कानपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में किया गया है। इस तोप को इजराइल की सॉल्टम गन से भी ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। यह नाटों का मापदंडों के अनुरूप है। धनुष और बोफोर्स से भी ज्यादा घातक है। इसका परीक्षण पिछले दो सालों से सिक्किम की बेहद ऊंचाई वाले इलाकों के अलावा जैसलमेर के तपते रेगिस्तान में किया गया। इसके बाद मऊ में इसका परीक्षण किया गया था। मंगलवार सुबह जबलपुर में परीक्षण किया गया।
ये है खासियत
155 एमएम और 45 कैलिबर वाली गन की खासियत यह है कि इससे एक मिनट में तीन राउंड फायर किए जा सकते हैं। इसके 130 एमएम से अपग्रेड किया जाएगा। यह तोप बिना रूके एक घंटे तक गोले दगाने की क्षमता रखती है। इसका वनज 8450 किलो है। इसके बैरल की लंबाई 7700 एमएम हे। सारंग के जरिए 36 किमी की दूरी पर बैठे दुश्नम को चंद सेकेंड में नेस्तानाबूद किया जा सकता है। 70 डिग्री तक यह तोप घूमकर वार कर सकती है।