बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर केंद्र की ओर से 17 जनवरी को बुलाई गई सभी राज्यों की बैठक में वे हिस्सा नहीं लेंगी। इतना ही नहीं, तृणमूल प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि बैठक में राज्य सरकार की से कोई सचिव स्तरीय या अन्य प्रतिनिधि भी बैठक में भागिदार नहीं बनेगा।
महानगर के रानी रासमणि एवेन्यू में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ तृणमूल छात्र परिषद की ओर से लगातार छठे दिन जारी धरना मंच पर पहुंचीं सुश्री बनर्जी ने कहा कि एनपीआर पर दिल्ली में जो बैठक बुलाई गई है उसमें मैं शामिल नहीं होउंगी और ना ही राज्य से कोई सचिव स्तरीय अधिकारी या अन्य प्रतिनिधि बैठक मे शामिल होगा।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले 16 दिसंबर, 2019 को ही राज्य सचिवालय नवान्न की ओर नोटिस जारी कर राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने और अद्यतन करने से संबंधित सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। इसके तहत कोलकाता और हावड़ा नगर निगमों तथा सभी जिला मजिस्ट्रेटों को गृह और पहाड़ी मामलों के विभाग की जनगणना सेल के माध्यम से एडिशनल सेक्रेट्री ने एक आदेश जारी कर कहा था कि एनपीआर की तैयारी और अद्यतन के बारे में सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है।
पत्र में यह भी कहा गया था कि एनपीआर के बारे में कोई भी गतिविधि पश्चिम बंगाल सरकार से पूर्व मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती। यह आदेश सार्वजनिक आदेश के हित में जारी किया गया है। इसके बाद अभी दो दिन पहले महानगर से सटे कमरहट्टी नगर पालिका के दो कर्मचारियों की ओर से एनपीआर को लेकर गलती से नोटिस जारी करने पर उन्हें डीएम ने निलंबित कर दिया है।
इतना ही नहीं तृणमूल प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनपीआर के साथ-साथ बंगाल में जनगणना पर भी रोक लगा दी है। यहां तक कि पिछले शनिवार को ममता ने जब पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी तो वहां भी एनपीआर, सीएए लागू नहीं करने की बात कही थी।