बंगाल की ममता सरकार सीएए को लेकर दोहरा रवैया अपना रही है। जहां एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पदयात्रा कर के लगातार इस कानून के विरोध में रैलियां कर रही हैं, सीएए के समर्थकों को रोकने के लिए धारा 144 लागू करा दे रही हैं। यह आरोप भाजपा ने बंगाल की ममता सरकार पर लगाया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि पुलिस ने धारा 144 लगा कर रविवार को सीएए के समर्थन में रैलियां करने की अनुमति नहीं दी। इतना ही नहीं, कई भाजपा नेताओं के खिलाफ मामला भी दर्ज कर लिया गया। सीएए के समर्थन में नॉर्थ बंगाल में 2 रैलियां होनी थी।
नॉर्थ बंगाल में अपनी कमजोर स्थिति को देखते हुए तृणमूल ने पूरी ताकत झोंक रखी है। 22 जनवरी को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर उत्तर बंगाल जा रही हैं जहां वह सीएए व एनआरसी के खिलाफ सभा व जुलूस में हिस्सा लेंगी। यह वही क्षेत्र है, जहां भाजपा ने तृणमूल को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने दी। जनवरी 12 को बंगाल भाजपा के महासचिव सायंतन बासु और कूचबिहार यूनिट की पार्टी अध्यक्ष मालती राय को सीएए के समर्थन में आयोजित ‘अभिनन्दन यात्रा’ में भाग लेने से रोक दिया गया। पुलिस ने बहाना बनाया कि हिंसा की आशंका से धारा 144 लगा दिया गया है।
भाजपा ने इसके खिलाफ कोलकाता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। भाजपा का आरोप है कि ममता बनर्जी राज्य में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से डर गई हैं और वह जनता को सीएए के समर्थन में रैली करने से रोक रही हैं। जिस रैली में जाने से भाजपा नेताओं को रोका गया, वहां पहले से ही बड़ी भीड़ जुट गई थी और मंच सज गया था। किसी ने संबोधन भी नहीं किया था। जब भाजपा नेताओं ने किसी अन्य स्थल पर बैठक की तो उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया।
तृणमूल ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट बयान देने की बजाय आरोप-प्रत्यारोप की रणनीति अपनाई है। तृणमूल नेताओं कहा कि भाजपा को पहले राज्य में पार्टी के अध्यक्ष दिलीप घोष को आक्रामक बयान देने से रोकना चाहिए। तृणमूल सरकार का दावा है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये सब किया गया। तृणमूल ने दावा किया कि भाजपा को कभी भी बैठक व रैलियां करने से नहीं रोका गया। न सिर्फ भाजपा बल्कि वामपंथी पार्टियों को भी बंगाल में बैठक व रैलियां करने से रोका जा रहा है। माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने दावा किया कि उनकी पार्टी के कई बैठकों को टालने के लिए भी पश्चिम बंगाल सरकार ने कई बार धारा-144 का