जांच में जुटी एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पूछताछ में यह पता चला कि पिछले साल भी डीएसपी ने आतंकी नवीद को जम्मू पहुंचाया था। यहां ठहरने तथा इलाज के बाद उसे शोपियां तक सुरक्षित पहुंचाया था। माना जा रहा है कि वह इस बार नवीद को चंडीगढ़ ले जा रहा था। वहां दो महीने तक रहने के लिए उसने किराये के रूप में 12 लाख रुपये लिए थे। डीएसपी के बयानों में काफी विरोधाभास है। इसे पकड़े गए आतंकियों से पूछताछ के आधार पर मिलान किया जाएगा। दक्षिणी कश्मीर में चल रही पूछताछ के दौरान आतंकियों को अलग कमरे में रखा गया है।
कश्मीर: हिजबुल कमांडर के साथ गिरफ्तार डीएसपी के खाते और संपत्तियों की होगी जांच

हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर नवीद बाबू के साथ गिरफ्तार निलंबित डीएसपी देविंदर सिंह के मामले में जांच कर रही सुरक्षा एजेंसियों ने मंगलवार को डीएसपी के बैंक खाते और अन्य संपत्तियों की जांच की। पूछताछ में जुटी एजेंसियों ने इससे जुड़े दस्तावेज भी खंगाले हैं। आतंकियों के साथ कनेक्शन की भी छानबीन करने में जुटी हुई है। माना जा रहा है कि आतंकियों के साथ गठजोड़ के कई राज सामने आ सकते हैं।
डीएसपी पहले भी कई मामलों में चर्चित रहा है। 1990 में वह सब इंस्पेक्टर के तौर पर नियुक्त हुआ था। प्रोबेशन के दौरान उसने व उसके साथी ने एक ट्रक से बरामद नारकोटिक्स बेच दी थी। उसकी बर्खास्तगी को तत्कालीन एक आईजी ने मानवीय आधार पर रोक दी थी। इसके बाद दोनों को एसओजी में भेज दिया गया था। 1997 में बडगाम में तैनाती के दौरान फिरौती मांगे जाने की शिकायत पर उसे पुलिस लाइन में भेज दिया गया था। 2015 में तत्कालीन डीजीपी के राजेंद्रा ने उसकी तैनाती शोपियां तथा पुलवामा जिला मुख्यालय में की। पुलवामा में गड़बड़ी की शिकायत पर तत्कालीन डीजीपी डा. एसपी वैद ने अगस्त 2018 में उसे एंटी हाइजैकिंग विंग में भेज दिया। इसकी जांच भी हुई थी।