मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में लोकभवन में आज कैबिनेट की बैठक होगी। प्रदेश सरकार आज प्रयोग के तौर पर लखनऊ व गौतमबुद्धनगर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने, मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना की जगह मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटनाकल्याण योजना शुरू करने व घाघरा का नाम बदलकर सरयू नदी करने सहित कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को बैठक में मंजूरी दे सकती है।
मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में लोकभवन में कैबिनेट में आधा दर्जन से अधिक प्रस्तावों पर विचार की संभावना है। इसमें सर्वाधिक ज्वलंत विषय लखनऊ व गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने पर भी विचार की संभावना है।
इसके अलावा किसानों के लिए सामाजिक सुरक्षा की सबसे बड़ी योजना मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना को मंजूरी देने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना पिछले वर्ष ही खत्म हो चुकी है।
नई योजना पिछली योजना खत्म होने के समय से ही लागू करने की तैयारी है। इससे दोनों योजनाओं के बीच की अवधि के पीड़ित परिवारों को नई योजना का लाभ मिल सकेगा।
इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के खाताधारक व सह खाताधारक किसानों व उनके आश्रितों के अलावा बटाईदारों व पट्टेदारों को दुर्घटना में मृत्यु पर पांच लाख रुपये मुआवजा व दिव्यांग होने पर लाभार्थी को 5 लाख रुपये तक सहायता की व्यवस्था का प्रस्ताव है। इस योजना में करीब चार करोड़ से अधिक लाभार्थी होंगे।
इसी तरह घाघरा नदी का नाम बदलकर सरयू करने का प्रस्ताव है। घाघरा नदी नेपाल से आकर प्रदेश के बहराइच, सीतापुर, गोंडा, बाराबंकी, अयोध्या, टांडा से होकर दोहरीघाट बलिया व छपरा के बीच गंगा में मिल जाती है। राजस्व अभिलेखों में घाघरा का नाम बदलकर सरयू दर्ज करने संबंधी प्रस्ताव भी आ रहा है।
इन प्रस्तावों पर भी विचार संभव
- गोरखपुर में सोनौली-नौतनवां-देवरिया-बलिया मार्ग के चैनेज-98.975 से चैनेज-125 तक (गोरखपुर शहर से देवरिया बार्डर तक )26.025 किमी. लंबे मार्ग के चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण कार्य के पुनरीक्षित एस्टीमेट की प्रशासकीय व वित्तीय स्वीकृति।
- बरेली जिले के विधानसभा क्षेत्र बरेली में बस स्टेशन के निर्माण केलिए मिनी बाईपास पर केंद्रीय कारागार तथा नगर निगम बरेली की रिक्त भूमि परिवहन विभाग को नि:शुल्क देने की योजना है।
- प्रयागराज में निर्माणाधीन जिला कारागार को पूरा कराने के लिए पुनरीक्षित एस्टीमेट की स्वीकृति पर विचार।
- पुलिस विभाग के पूर्व निर्मित कई भवनों को निष्प्रयोज्य घोषित कर ध्वस्तीकरण की अनुमति देने पर विचार।