चकबंदी को लेकर बढ़ते विवाद पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद सतर्क हैं। उन्होंने चकबंदी महकमे में लंबित 1,12,907 मुकदमों को छह महीने के अंदर निस्तारित करने का निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चकबंदी आयुक्त को प्रतिदिन इन मुकदमों की समीक्षा करने के लिए कहा है। साथ ही, उन्होंने हाईकोर्ट में लंबित 165 मामलों के लिए टीम लगाकर प्रभावी पैरवी के जरिये समाधान का निर्देश दिया है।
लोकभवन में शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने चकबंदी विभाग के कामकाज की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कई गांवों में 25 वर्ष से चकबंदी के मामले लंबित हैं। इतने लंबे समय तक मामले को लंबित रखने का मतलब एक पूरी पीढ़ी को बर्बाद करना है। गांव के लोगों में कितना धैर्य है, इस पर विचार करना चाहिए। अधिक पारदर्शी तरीके से गरीब-अमीर का चक बंटेगा तो कोई आपत्ति नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि चकबंदी की पांच वर्ष की समय सीमा खत्म कर लोगों में विश्वास पैदा करें और एक साल में लोगों को स्वैच्छिक चकबंदी के लिए प्रेरित करें। चकबंदी का कार्य मिशन मोड में किया जाए। गोरखपुर के चिलबिलवा और हाथरस के गोपालपुर गांव का उदाहरण देते हुए उन्होंने अन्य जिलों में भी किसानों को स्वैच्छिक चकबंदी के लिए प्रेरित करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि चकबंदी अधिकारियों को जब कोर्ट में बैठना हो, तब कोर्ट में बैठें, नहीं तो अपने कार्यालय में रहें। इसके साथ ही अधिकारी फील्ड में भी जाएं और चकबंदी से होने वाले लाभ के बारे में लोगों को बतायें। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि चकबंदी से प्राप्त सरप्लस भूमि का उपयोग गोचर भूमि (चरागाह), खेल के मैदान, चिकित्सालय, विद्यालय जैसे सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए किया जाए। उन्होंने चकबंदी अधिकारियों के 235 न्यायालयों के कंप्यूटरीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया।