सीबीआई को बिहार के मुजफ्फरपुर बालिकागृह (शेल्टर होम) में किसी लड़की की हत्या के सबूत नहीं मिले हैं। जांच एजेंसी ने बुधवार काे सुप्रीम कोर्ट को बताया कि शेल्टर होम में किसी भी बच्ची की हत्या नहीं की गई और सभी गायब 35 लड़कियों को सकुशल बरामद किया गया है। लेकिन सीबीआई ने काेर्ट में जो रिपोर्ट साैंपी है उससे जांच पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि बालिका गृह से गायब दाे किशाेरियां कहां गईं और संदिग्ध स्थिति में मरने वाली दाे बच्चियाें के शवाें काे ब्रजेश ठाकुर एंड कंपनी ने कहां ठिकाने लगाया? सीबीआई ने इन दाे प्रमुख बिंदुओं का खुलासा रिपाेर्ट में नहीं किया है।
सीबीआई के अनुसार शेल्टर हाेम से बरामद दाे कंकाल यहां रहीं लड़कियाें के नहीं हैं। फाॅरेंसिक जांच में यह कंकाल एक पुरुष और महिला के निकले। चीफ जस्टिस एसए बाेबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने सीबीआई की स्टेटस रिपाेर्ट मंजूर कर ली है। हालांकि याचिकाकर्ता से इस पर हलफनामा देने काे भी कहा है। सीबीआई की ओर से पेश अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगाेपाल ने काेर्ट में कहा कि आशंका जताई जा रही थी कि शेल्टर होम में कुछ लड़कियों की हत्या की गई है। लेकिन सीबीआई ने जांच में पाया है कि किसी भी बालिका की हत्या नहीं की गई है सभी गायब 35 लड़कियों को जिंदा बरामद किया गया है।
बच्चाें के साथ दुष्कर्म और याैन उत्पीड़न की शिकायताें पर भी जांच की गई थी। संबंधित अदालत में चार्जशीट हो चुकी है। उन्हाेंने बताया कि बिहार में 17 शेल्टर हाेम्स की जांच के बाद 13 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। चार मामलाें की प्रारंभिक जांच में काेई सबूत नहीं मिलने के बाद केस बंद कर दिया गया।
अगर सीबीआई को मानें तो ये 3 झूठ
- शेल्टर होम की दुष्कर्म पीड़ित बच्चियों ने कहा था कि यहां पर मार के गाड़ दिया।
- सीबीआई ने खुद 11 बच्चियों की हत्या की बात कही थी।
- शेल्टर होम के कर्मियों ने भी कबूली थी बच्चियों की हत्या कर गाड़ने की बात।
याचिकाकर्ता बोलीं- 35 का तो जिक्र ही नहीं किया
सीबीआई ने बालिका गृह से लापता दाे किशाेरियां और दाे बच्चियाें की संदिग्ध स्थिति में मौत को रिपाेर्ट में शामिल नहीं किया है। जांच एजेंसी के प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने कहा कि बालिकागृह कांड में काेई भी जानकारी तत्काल नहीं दे पाऊंगा। 3 अक्टूबर 2018 काे सीबीआई ने जब सिकंदरपुर श्मशान घाट से अस्थियां जब्त की थीं। तब कहा गया था कि बालिकागृह से गायब दाे किशाेरियाें काे यहीं दफन किया गया। ब्रजेश के चालक विजय तिवारी और बालिकागृह के सफाई कर्मी कृष्णा राम ने भी बच्चियों की हत्या व शव यहां गाड़े जाने की पुष्टि की थी। इस बीच, बालिका गृह कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका देने वाली पत्रकार निवेदिता झा ने बुधवार को भास्कर से बातचीत में खुलासा किया कि 35 बच्चियों की हत्या की बात हमने कभी नहीं कही थी। शेल्टर होम की बच्चियों ने अपने बयान में कुछ साथियों की हत्या की बात कही थी। उनके वकील फाैजिया शकील व शोएब आलम ने कहा- सीबीआई की रिपाेर्ट से लग रहा बड़े लाेगाें काे बचाने का खेल हुआ है, काेर्ट में हम आपत्ति दाखिल करेंगे।
सोशल ऑडिट में सामने आई बच्चियों से दरिंदगी
मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में बच्चियों के साथ हो रहे अत्याचार का खुलासा फरवरी 2018 में हुए सोशल ऑडिट में हुआ था। बिहार के समाज कल्याण विभाग की सिफारिश पर टीआईएसएस की एजेंसी ‘कोशिश’ ने मुजफ्फरपुर के साहू रोड स्थित बालिका गृह के समेत दूसरे शेल्टर हाउस का सोशल ऑडिट किया था। एजेंसी ने ही बालिका गृह में रह रही बच्चियों के साथ हो रहे अत्याचार को उजागर किया था।
31 मई, 2018 को हुई एफआईआर
31 मई 2018 को समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक ने महिला थाने में एफआईआर कराई। इसमें बालिका गृह का संचालन कर रही ‘सेवा संकल्प एवं विकास समिति’ पर लड़कियों से दुर्व्यवहार का आरोपी बनाया गया। पुलिस ने यहां से 46 किशोरियों को मुक्त कराया। 3 जून, 2018 को ब्रजेश ठाकुर और बालिका गृह से जुड़ी 7 महिलाओं किरण, चंदा, नेहा, मंजू, इंदु, हेमा और मीनू को लंबी पूछताछ के बाद पुलिस ने जेल भेज दिया। यह मामला साकेत कोर्ट में चल रहा है और इस मामले में 14 जनवरी को फैसला सुनाया जाएगा।